
डिमेंशिया के जोखिम बढ़ा सकते हैं नींद संबंधी विकार, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
नींद संबंधी विकार के सामान्य प्रकारों में अनिद्रा, स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम और नार्कोलेप्सी शामिल हैं, जिनके कारण नींद की गुणवत्ता और अवधि प्रभावित होती हैं।
इससे व्यक्ति की जीवनशैली और उत्पादकता पर भी बुरा असर पड़ता है।
इसी के साथ एक नए अध्ययन ने पाया कि नींद संबंधी विकार डिमेंशिया के उच्च जोखिम से जुड़े हैं।
आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अध्ययन
अध्ययन के लिए किया गया मेटा-विश्लेषण
गेरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने पहले से प्रकाशित अध्ययनों का मेटा-विश्लेषण किया।
उन्होंने विभिन्न विकारों जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, अनिद्रा और डिमेंशिया के बीच संबंधों की जांच की, जिससे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया वाले लोगों में अल्जाइमर रोग का जोखिम 45 प्रतिशत अधिक पाया गया, जबकि अनिद्रा वाले व्यक्तियों में डिमेंशिया का जोखिम 59 प्रतिशत और अल्जाइमर रोग का जोखिम 49 प्रतिशत से अधिक था।
परिणाम
अध्ययन से सामने आए ये परिणाम
अध्ययन के परिणामों से पता चला कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया वाले व्यक्तियों में बिना किसी स्थिति वाले लोगों की तुलना में सभी कारणों से होने वाले डिमेंशिया का खतरा 33 प्रतिशत था, जबकि अनिद्रा वाले व्यक्तियों में 36 प्रतिशत तक बढ़ा हुआ पाया गया।
वहीं, अन्य नींद विकारों के जोखिम में 33 प्रतिशत तक डिमेंशिया का खतरा पाया गया।
शोधकर्ताओं का कहना है कि मेटा विश्लेषण से नींद संबंधी विकारों और डिमेंशिया के बीच गहरा संबंध पाया गया है।
कारण
नींद संबंधी विकार होने के कारण
अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बताया, "नींद संबंधी विकार तनाव, चिकित्सा स्थितियों, जीवनशैली कारकों या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त पुरानी नींद की समस्याएं थकान, कमजोर याददाश्त, उच्च रक्तचाप और अवसाद जैसी स्थितियों के उच्च जोखिम से जुड़ी हैं।"
उनका आगे कहना है कि अभी इस विषय पर और अध्ययन किए जाने चाहिए ताकि सटीक परिणाम सामने आ सकें।
टिप्स
नींद के विकारों से सुरक्षित रहने के लिए करें ये काम
अगर सोने वाले कमरे में टीवी, मोबाइल या लैपटॉप जैसे उपकरण होंगे तो आप न जाने कितनी देर तक इन्हीं के इस्तेमाल में लगेंगे और नींद नहीं आएगी। इसलिए अगर आप यह चाहते हैं कि समय से नींद आ जाए तो अपने मोबाइल आदि को बंद करके सो जाएं।
इसके अतिरिक्त सोने के कमरे का माहौल साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए।
साथ ही दिन में न सोएं और रात को हल्का खाना खाने समेत एक्सरसाइज न करें।