स्लीप एपनिया का जोखिम कम करने में मदद कर सकती हैं ये 5 टिप्स
स्लीप एपनिया नींद से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण व्यक्ति को सोते वक्त सांस लेने में मुश्किल होती है और उसकी रात में बार-बार नींद खुलती है। अस्वस्थ जीवनशैली, बढ़ता वजन, किडनी संबंधी समस्याएं, दिमागी संक्रमण, स्ट्रोक, रीढ़ की समस्या और टॉन्सिल आदि इसकी वजह हो सकते हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी टिप्स देते हैं, जिन्हें अपनाने से आपको स्लीप एपनिया का जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है।
वजन नियंत्रित करें
स्लीप एपनिया के लिए सबसे अच्छे प्राकृतिक उपचारों में से एक वजन घटाना है। अधिक वजन वाले लोगों के गले और गर्दन पर अतिरिक्त चर्बी के कारण वायुमार्ग सिकुड़ने का खतरा अधिक होता है, जो स्लीप एपनिया की वजह बन सकता है। एक अध्ययन से पता चला है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में वजन कम करने से स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
दिनचर्या में योग शामिल करें
कई डॉक्टर स्लीप एपनिया के उपचार के रूप में रोगियों को अपनी दिनचर्या में योग शामिल करने की सलाह देते हैं। इसका कारण है कि यह शारीरिक मुद्रा और सांस लेने में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त खून में ऑक्सीजन के कम स्तर और स्लीप एपनिया के बीच एक संबंध होता है। आपको योग के मध्याम से अपने ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन प्रवाह को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
करवट लेकर सोएं
पीठ के बल सोना स्लीप एपनिया की स्थिति को बिगाड़ सकता है। इसकी बजाय करवट लेकर सोएं क्योंकि यह वायुमार्ग को ठीक करने में मदद कर सकता है और आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। अगर आपको करवट लेकर सोने में दिक्कत होती है तो इसकी आदत डालने के लिए विशेष तकिये या अलार्म का इस्तेमाल करके पोजिशनल थेरेपी का प्रयास करें। यहां जानिए स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन सोने की मुद्राएं।
ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें
घर के अंदर या कमरे में रूखी हवा के कारण स्लीप एपनिया के लक्षण गंभीर हो सकते हैं, जिससे सोने में कठिनाई भी बढ़ सकती है। इस मामले में ह्यूमिडिफायर काफी मदद कर सकता है। अक्सर CPAP मशीनों में भी ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी वजह से स्लीप एपनिया वाले रोगियों को आराम से सोने में मदद मिलती है। यहां जानिए घर पर ह्यूमिडिफायर रखने के अन्य फायदे।
अरोमाथेरेपी भी है प्रभावी
पेपरमिंट या लैवेंडर जैसे एसेंशियल ऑयल वायुमार्ग की सूजन या जलन से लड़ने में सहायक हो सकते हैं क्योंकि इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन दोनों एसेंशियल ऑयल पर किए गए अध्ययनों में नींद की गड़बड़ी और खर्राटों में कमी देखी गई है। लाभ के लिए आप इन तेलों की कुछ बूंदें ह्यूमिडिफायर में मिला सकते हैं या सोने से पहले डिफ्यूजर के माध्यम से इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।