खाने के बाद किए जा सकते हैं ये 5 योगासन, पाचन क्रिया रहेगी स्वस्थ
खाने के बाद वर्कआउट करना गलत माना जाता है। हालांकि, योगाभ्यास भारी भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है। योग पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने और शरीर को डिटॉक्सिफायर करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह अपच, ऐंठन और सूजन की स्थितियों का भी इलाज कर सकता है, जिनका आप अधिक खाने के बाद अनुभव कर सकते हैं। आइए आज हम आपको खाने के बाद किए जाने वाले योगासनों के बारे में बताते हैं।
वज्रासन करें
सबसे पहले घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। इस स्थिति में दोनों पैरों के अंगुठों को साथ में मिलाएं और एड़ियों को अलग रखें। अब कूल्हों को एड़ियों पर टिकाकर हथेलियां घुटनों पर रखें। इस दौरान पीठ और सिर को सीधा रखें। इसके बाद आंखें बंद करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस अवस्था में कम से कम 5-10 मिनट तक बैठने की कोशिश करें और फिर सामान्य हो जाएं।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन से होगा फायदा
अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लिए पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं और फिर दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं घुटने के ऊपर से इसके किनारे पर रख लें। इसके बाद बाएं घुटने को मोड़कर इसकी एड़ी को दाएं कूल्हे के नीचे रखें और बाएं हाथ से दाएं टखने को पकड़ने की कोशिश करें। इस दौरान दाएं हाथ को कमर के पीछे रखें। कुछ सेकंड इसी स्थिति में बने रहें और धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
समस्थिति आसन भी है प्रभावी
इसके लिए योगा मैट पर पीठ के बल लेटकर आंखें बंद करें। इस दौरान शरीर एकदम ढीला छोड़ दें। अब दोनों हथेलियों को शरीर से लगभग एक फीट की दूरी पर रखें। इसके अलावा पैरों को भी एक-दूसरे से लगभग 2 फीट की दूरी पर रखें। धीरे-धीरे सांसें लें और पूरा ध्यान सांस पर लगाने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे आसन छोड़े।
गोमुखासन का करें अभ्यास
सबसे पहले जमीन पर दंडासन की स्थिति में बैठकर दाएं पैर को मोड़ें और इसे बाईं जांघ के ऊपर से ले जाते हुए बाएं कूल्हे के पास जमीन पर रखें। इसी तरह बाएं पैर को मोड़ते हुए दाईं जंघा के नीचे से दाएं कूल्हे के पास जमीन पर रखें। अब दोनों हाथों को कोहनी से मोड़ते हुए पीठ के पीछे आपस में पकड़ने का प्रयास करें। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहें। यहां जानिए गोमुखासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
बद्धकोणासन भी है लाभदायक
बद्धकोणासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं, फिर पैरों को मोड़कर दोनों तलवों को आपस में मिला लें। इसके बाद दोनों हाथों से तलवों को पकड़ लें और दोनों घुटनों को आराम-आराम से तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे करें। इस दौरान सामान्य गति से सांस लेते रहें। कुछ सेकंड के बाद आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें।