
दुनिया में 50 सालों में घट गई 73 प्रतिशत वन्यजीव आबादी, एशिया प्रशांत में सबसे अधिक
क्या है खबर?
विश्व में वन्यजीव आबादी को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें पता चला है कि पिछले 50 साल में वन्यजीवों की आबादी 73 प्रतिशत घट गई है।
यह जानकारी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2024 से सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2 साल पहले यह गिरावट 69 प्रतिशत थी, जो एकदम से 4 प्रतिशत बढ़ गई है।
इसका सबसे अधिक असर एशिया प्रशांत क्षेत्र में दिख रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है।
वन्यजीव
भारत में क्या पड़ा है असर?
एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रदूषण वन्यजीव आबादी के लिए अतिरिक्त खतरा है, इस क्षेत्र में औसतन 60 प्रतिशत की गिरावट है।
रिपोर्ट में भारत के आंकड़े नहीं थे, लेकिन वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि स्तनधारियों, पक्षियों, मधुमक्खियों, उभयचरों और मीठे पानी वाले कछुओं की संख्या में गिरावट दिखी है।
भारत में 3 गिद्ध प्रजातियों, सफेद पूंछ वाले (जिप्स बंगालेंसिस), भारतीय (जिप्स इंडिकस) और पतली चोंच वाले गिद्धों (जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस) में चिंताजनक गिरावट है।
कारण
वन्यजीवों पर असर का क्या है कारण?
रिपोर्ट में बताया गया कि वन्यजीवों की कमी का प्रमुख कारण आवास की क्षति और गिरावट जो मुख्य रूप से खाद्य प्रणालियों के कारण है, वो सबसे बड़ा खतरा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अत्यधिक दोहन, आक्रामक प्रजातियां और बीमारियां, जलवायु संकट के प्रभावों के साथ मिलकर वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों को उनकी सीमाओं से परे धकेल रही हैं।
WWF इंटरनेशनल की महानिदेशक कर्स्टन शूइट ने रिपोर्ट पर कहा कि प्रकृति संकट की घंटी बजा रही है।
जानकारी
रिपोर्ट कैसे पहुंची निष्कर्ष पर?
रिपोर्ट ने निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए लंदन की जूलॉजिकल सोसाइटी द्वारा उपलब्ध कराए गए 5,230 प्रजातियों की 32,000 आबादियों का एक वैश्विक डेटासेट लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI) का उपयोग किया। इस गिरावट को संभालने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया गया है।