राजस्थान: 'मेड इन चाइना' ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर फटने से महिला की मौत, पति की हालत नाजुक
क्या है खबर?
राजस्थान में ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर फटने से एक महिला की मौत हो गई, वहीं उसके पति को गंभीर चोटें आई हैं।
पीड़ित कोरोना वायरस के संक्रमित एक परिजन के इलाज के लिए कॉन्सेन्ट्रेटर का इस्तेमाल कर रहे थे और स्विच ऑन करने के बाद ये फट गया।
कॉन्सेन्ट्रेटर में गड़बड़ी को इस दुर्घटना का कारण माना जा रहा है। यह चीन से बनकर आया था और शायद इससे ऑक्सीजन लीक हो गई थी।
मामला
गंगापुर शहर का है मामला
मामला गंगापुर शहर के उदई मोड़ इलाके का है। यहां के रहने वाले IAS हर सहाय मीणा के भाई सुल्तान सिंह को हाल ही में कोरोना से संक्रमित पाया गया था और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
सांस लेने में मदद करने के लिए उनके लिए घर पर ही ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर का इंतजाम किया गया था। लड़कियों के हाई स्कूल में प्रधानाचार्य सुल्तान की पत्नी संतोष मीणा उनकी देखभाल कर रही थीं।
हादसा
शनिवार को स्विच ऑन करते ही फटा कॉन्सेन्ट्रेटर
शनिवार सुबह जैसे ही संतोष मीणा ने लाइट ऑन की, ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर फट गया। जब धमाके की आवाज सुनकर पड़ोसी मौके पर पहुंचे तो संतोष और सुल्तान आग की लपटों से घिरे हुए थे।
जैसे-तैसे उन्हें बाहर निकाला गया और तत्काल अस्पताल ले जाया गया। हालांकि संतोष ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया, वहीं सुल्तान की हालत नाजुक है और उसे इलाज के लिए जयपुर शिफ्ट किया गया है।
कारण
ऑक्सीजन लीक होने के कारण हादसा होने की आशंका
माना जा रहा है कि कॉन्सेन्ट्रेटर से ऑक्सीजन लीक हो गई थी जिसके कारण जब स्विच ऑन किया गया तो इसमें और पूरे घर में आग लग गई।
पुलिस ने मामले में केस दर्ज किया है और जिन दुकानदार से कॉन्सेन्ट्रेटर खरीदा गया था, उससे पूछताछ की जा रही है। दुकानदार का दावा है कि कॉन्सेन्ट्रेटर चीन से बनकर आया था।
शुरूआती जांच में कंप्रेशर के फटने की जानकारी सामने आई है। ऐसा क्यों हुआ, ये नहीं पता चला है।
सुरक्षित
हादसे में बाल-बाल बचे दंपत्ति के दो बेटे
संतोष और सुल्तान के 10 और 12 साल के दो बेटे भी हैं। गनीमत रही कि हादसे के समय वे घर पर नहीं थे और हादसे में उन्हें कोई चोट नहीं आई।
बता दें कि ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर वातावरण की हवा से ही ऑक्सीजन बनाता है और महामारी के दौरान इसका इस्तेमाल उन मरीजों के इलाज के लिए किया जा रहा है जिन्हें ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता नहीं है।
इससे अस्पतालों पर बोझ कम हो जाता है।