#NewsBytesExclusive: राजस्थान में वैक्सीनेशन से पहले नहीं भरवाए जा रहे सहमति पत्र, बनाया जा रहा दबाव
क्या है खबर?
एक तरफ सरकार कोरोना महामारी में बेहतरीन योगदान के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की प्रशंसा करते हुए वैक्सीनेशन अभियान में उन्हें प्राथमिकता दे रही है, वहीं दूसरी ओर राजस्थान में इन्हीं स्वास्थ्यकर्मियों की जिंदगी से खिलवाड़ चल रहा है।
दरअसल, वैक्सीनेशन अभियान में भारत बायोटेक की वैक्सीन 'कोवैक्सिन' के इस्तेमाल से पहले स्वास्थ्यकर्मियों से क्लिनिकल वॉलेंटियर की तरह सहमति पत्र भरवाया जाना अनिवार्य है, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हो रहा और उनपर वैक्सीन लगवाने का दबाव भी बनाया जा रहा है।
जानकारी
आखिर क्या है सहमति पत्र?
दरअसल, भारत में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल पूरा नहीं होने के कारण सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है।
ऐसे में वैक्सीनेशन अभियान में इस वैक्सीन को लेने वाले स्वास्थ्यकर्मियों से सहमति पत्र भरवाना अनिवार्य है।
इसके भरने के बाद यदि वैक्सीन गंभीर साइड इफेक्ट्स सामने आते हैं तो प्रतिभागी को ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के तहत मुआवजा दिया जाएगा।
जानकारी
भारत बायोटेक की ओर से किया जाएगा मुआवजे का भुगतान
वैक्सीन लेने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट होने और जांच में यह साबित होने पर कि साइड इफेक्ट वैक्सीन के कारण ही हुए हैं तो वैक्सीन लेने वालों को भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (BBIL) की ओर से ही मुआवजे का भुगतान किया जाएगा।
प्रक्रिया
सहमति पत्र में की गई है यह घोषणा
कंपनी की ओर से प्रतिभागियों से भरवाए जा रहे सहमति फॉर्म में कहा जा रहा है कि लाभार्थियों में वैक्सीन लेने के बाद यदि कोई भी गंभीर साइड इफेक्ट्स नजर आते हैं तो उसका सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपचार किया जाएगा।
इसी तरह वैक्सीन लेने वालों को शुरुआती सात दिनों के अंदर किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स और लक्षणों के बारे दी जाने वाली एक फैक्ट शीट के जरिए पूरी जानकारी देनी होगी।
इसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।
अनदेखी
राजस्थान में नहीं भरवाए जा रहे सहमति पत्र
वैक्सीनेशन अभियान के दौरान कोवैक्सिन के उपयोग को लेकर भरवाए जाने वाले सहमति पत्र को लेकर राजस्थान में भारी अनदेखी की जा रही है।
राज्य के दौसा जिले में बनाए चार केंद्रों पर पिछले दो दिनों में 446 स्वास्थ्यकर्मियों को कोवैक्सिन की खुराकें दी गई हैं, लेकिन उनसे सहमति पत्र नहीं भरवाया गया। यही हालत अन्य जिलों की भी है।
अब यदि इनमें से किसी भी चिकित्साकर्मी के गंभीर साइड इफेक्ट आते हैं तो वह मुआवजे का पात्र नहीं होगा।
डाटा
राजस्थान में दो दिन में 20,567 को लगी वैक्सीन
राजस्थान में पिछले दो दिनों में 20,567 चिकित्साकर्मियों को वैक्सीन दी गई है। इनमें से 50 प्रतिशत को कोवैक्सिन की खुराक दी गई है।
शनिवार को पहले दिन 9,279 और सोमवार को दूसरे दिन 11,288 को वैक्सीन दी गई, लेकिन कोवैक्सिन वालों से सहमति पत्र नहीं भरवाया गया।
हैरानी की बात यह है कि दो दिन में 22 स्वास्थ्यकर्मियों में साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले थे। ऐसे में सहमति पत्र नहीं भरवाना गंभीर लापरवाही है।
प्रतिक्रिया
भरवाना शुरू कर दिया है सहमति पत्र- CMHO
दौसा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ मनीष चौधरी ने बताया कि सहमति फॉर्म भरवाने के लिए बोल रखा है, यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो इसकी जांच कराएंगे। मंगलवार से नियमित रूप से सहमति पत्र भराए जाएंगे।
इसी तरह दौसा जिला चिकित्सा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि फॉर्म तो रखे हैं, लेकिन भरवाना भूल गए। मंगलवार से वैक्सीन लेने वाले सभी चिकित्साकर्मियों से आवश्यक रूप से फॉर्म भराए जाएंगे।
जानकारी
वैक्सीन लगवा चुके चिकित्साकर्मियों से भी फॉर्म भराने के दिए आदेश
न्यूजबाइट्स हिंदी की ओर से मामले को उठाने के बाद चिकित्सा प्रशासन में हड़कंप मच गया और PMO ने वैक्सीन केंद्र पर तैनात कर्मचारियों को वैक्सीन लगवा चुके चिकित्साकर्मियों से भी किसी भी सूरत में सहमति फॉर्म पर हस्ताक्षर कराने के आदेश जारी कर दिए।
बयान
वैक्सीनेशन अभियान को लेकर चिकित्साकर्मियों में बना है डर
वैक्सीनेशन अभियान को लेकर राजस्थान में चिकित्साकर्मियों ने डर बना हुआ है। यही कारण है कि शनिवार को निर्धारित 16,700 चिकित्साकर्मियों में से 9,279 और सोमवार को 16,426 में से 11,288 ही वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे।
एक अस्पताल के सफाईकर्मी अशोक कुमार ने बताया, "उत्तर प्रदेश में वैक्सीनेशन के बाद एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। इससे वैक्सीनेशन को लेकर भय बना हुआ है। वह हृदय रोग से भी पीड़ित है। ऐसे में वह वैक्सीन नहीं लगवा रहे।"
जानकारी
उत्तर प्रदेश में वैक्सीन की वजह से नहीं हुई मौत
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद जिले में वैक्सीन लेने के एक दिन बाद वार्ड बॉय की मौत हो गई थी। हालांकि, पोस्टमार्टम के बाद साफ हो गया कि उसकी मौत वैक्सीन के प्रभाव से नहीं हुई।
बेसुध
वैक्सीन लगवाने के बाद बेसुध हुए न्यूरोलॉजिस्ट, अन्य लोग डरे
वैक्सीन के साइड इफेक्ट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सोमवार को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में वैक्सीन लगवाने के बाद न्यूरोलॉजिस्ट डॉ दिनेश खण्डेलवाल बेसुध हो गए और जमीन पर ही लेट गए।
इसके बाद उन्हें कुछ देर ICU में भर्ती करना पड़ा। उसके बाद वह धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ गए।
न्यूरोलॉजिस्ट की यह हालत देखकर वैक्सीन लगवाने आने अन्य चिकित्साकर्मियों में भय का माहौल पैदा हो गया है।
दबाव
वैक्सीनेशन के लिए चिकित्साकर्मियों पर बनाया जा रहा है दबाव
राजस्थान में वैक्सीनेशन को लेकर चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि यहां वैक्सीन नहीं लगवाने वालों पर विभागीय दबाव बनाया जा रहा है।
एक चिकित्साकर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वैक्सीन नहीं लगवाने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है।
एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि वह अपनी इच्छा से फिलहाल वैक्सीन नहीं लेना चाहता, लेकिन उस पर बार-बार वैक्सीन लगवाने का दबाव बनाया जा रहा है।
प्रयास
वैक्सीनेशन विभाग की प्रभारी कर रही चिकित्साकर्मियों को प्रेरित
वैक्सीन लगवा चुके डॉ केसी शर्मा ने बताया कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें कोई परेशानी नहीं है और वह पहले की तरह जीवन जी रहे हैं।
इसी तरह दौसा जिला चिकित्सा में वैक्सीनेशन विंग की प्रभारी संगीता कटारिया ने सबसे पहले स्वयं वैक्सीन लगवाकर चिकित्साकर्मियों को वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित किया है।
उन्होंने बताया कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही है। कोरोना से जंग जीतने के लिए सभी को कोरोना वैक्सीन लगवानी चाहिए।