हर साल बाढ़ का सामना क्यों करता है असम?
असम पिछले कुछ दिनों से बाढ़ की विभिषिका का सामना कर रहा है। 35 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और लाखों हैक्टेयर में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। 100 से ज्यादा लोगों की बाढ़ के पानी में डूबने और भूस्खलन से मौत हो चुकी है। हालांकि, यह केवल इस साल ही नहीं है, जब असम में बाढ़ ने कहर बरपाया है। पिछले साल भी 43 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे।
असम में हर साल बाढ़ आने की वजहें क्या हैं?
मई में आए चक्रवाती तूफान अम्फान के दौरान भारी बारिश के कारण असम में बाढ़ की यह पहली लहर है, लेकिन ऐसी क्या वजह है कि असम को हर साल बाढ़ के कहर का सामना करना पड़ता है? आइये, इस बारे में पड़ताल करते हैं।
हर साल आती है बाढ़ की तीन से चार लहर
असम में नदियों की बड़ी मात्रा के कारण यहां बाढ़ आने की आशंका रहती हैं। इसके अलावा प्राकृतिक और कृत्रिम वजहें भी हैं, जिसके कारण हर साल लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। हर साल मानसून के दौरान 50 से ज्यादा सहायक नदियां ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों में जलस्तर बढ़ा देती है, जो पूरे राज्य में तबाही का कारण बनती हैं। प्रत्येक वर्ष असम को बाढ़ की तीन से चार लहरों का सामना करना पड़ता है।
असम का लगभग 40 प्रतिशत इलाका बाढ़ संभावित
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के विश्लेषण के अनुसार राज्य का 31.05 लाख हैक्टेयर इलाका बाढ़ संभावित है। यह असम के कुल 78.523 लाख हैक्टेयर इलाके का 39.58 प्रतिशत है। वहीं यह पूरे देश का बाढ़ की विभिषिका का सामना करने वाले इलाके के 9.40 प्रतिशत इलाका है, जबकि पूरे देश का 10.2 प्रतिशत इलाका बाढ़ संभावित है। रिकॉर्ड से पता चलता है कि असम में हर साल औसतन 9.31 लाख हैक्टेयर इलाका बाढ़ से प्रभावित होता है।
अरुणाचल और मेघालय में बादल फटने के कारण आ चुकी है बाढ़
असम सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, साल 2004 और 2014 में मेघालय में बादल फटने के कारण ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ गया था। इससे असम में ये नदी तबाही लेकर आई। इसी तरह 2011 में अरूणाचल प्रदेश में बादल फटने के कारण गायनदी और जियाढ़ाल नदी में बाढ़ आ गई थी। इनकी वजह से असम को भारी तबाही का सामना करना पड़ा और कई लोगों की जान गई।
अरूणाचल और मेघालय से आने वाला पानी भी लाता है आफत
साथ ही अरूणाचल प्रदेश और मेघालय से बहकर नीचे आने वाली नदियों के पानी के कारण भी असम आदि राज्यों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा दूसरे कई कारण में बाढ़ की वजह बनते हैं।
ब्रह्मपुत्र असम के लिए जीवनरेखा भी और खतरा भी
ब्रह्मपुत्र असम के लिए जीवनरेखा भी है और खतरा बनकर भी बहती है। इसमें कई सहायक नदियां आकर मिलती हैं। यह असम के कई भागों से बहती हुई जाती है। मानसून के दौरान असम में भी बारिश होती है और हिमालय से भी पानी ब्रह्मपुत्र में आकर मिलता है। इसके अलावा गर्मियों में ग्लेशियर पिघलने से भी ब्रह्मपुत्र में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जो असम के लिए बाढ़ का खतरा पैदा करती है।
ये भी हैं बाढ़ की बड़ी वजहें
दूसरी बड़ी वजह ब्रह्मपुत्र, बराक और दूसरी सहायक नदियों का अपने साथ किनारों को बहा ले जाना है। इसकी वजह से नदियों के पास स्थित निचले इलाकों में बाढ़ आ जाती है। इनके अलावा नदियों के किनारें होने वाले अतिक्रमण भी बाढ़ की बड़ी वजहे हैं। बिना बाढ़ से बचने की योजना बनाए बिना नदी के किनारे विकसित किए गए रियाहशी इलाके बाढ़ के खतरे को बढ़ा देते हैं। पेड़ों की कटाई ने भी स्थिति को और गंभीर बनाया है।
मानवीय कदम भी बाढ़ की वजह
ये प्राकृतिक वजहों की बात हुई। बाढ़ का एक और कारण कृत्रिम भी है। राज्य में 1950 के दशक से ही नदियों पर तटबंधों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही इनके किनारे होने वाले मनमर्जी के निर्माण कार्यों से भी नदियों का बहाव प्रभावित हुआ है। कई मामलों में प्रशासन ने नदी की गहराई बढ़ाने के लिए ड्रेजरों का इस्तेमाल किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा बिना पर्यावरणीय नियमों का पालन किए बिना किया गया था।