
राजस्थान के नए कोचिंग सेंटर विधेयक में क्या है प्रावधान और क्यों हो रही इसकी आलोचना?
क्या है खबर?
राजस्थान की भाजपा सरकार ने राज्य में संचालित कोचिंग सेंटरों को विनियमित करने के लिए गुरुवार (20 मार्च) को 'राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक, 2025' विधानसभा में पेश किया।
इस विधेयक के पास होने पर कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर अंकुश लगेगा। हालांकि, विधेयक के प्रावधानों में आवश्यक चीजों की अनदेखी को लेकर इसकी कड़ी आलोचना हो रही है।
ऐसे में आइए जानते हैं विधेयक में क्या-क्या प्रावधान है और इसकी आलोचना क्यों हो रही है।
कारण
क्यों पेश किया गया है नया विधेयक?
दरअसल, केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में कोचिंग सेंटरों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए थे। इसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी।
इससे कोचिंग के लिए मशहूर कोटा शहर में छात्रों की संख्या में 40,000 की गिरावट आ गई थी। इससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था।
सरकार ने इसी नुकसान को कम करने के लिए नया विधेयक पेश किया है। राजस्थान का कोचिंग सेंटर उद्योग 7,000 करोड़ का है।
प्रावधान
नए विधेयक में क्या किए गए हैं प्रावधान?
नए विधेयक में छात्रों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए कोचिंग सेंटरों में करियर मार्गदर्शन और मनोवैज्ञानिक परामर्श देने का प्रावधान किया गया है। इससे बच्चे तनाव जैसी गंभीर समस्या से बच सकेंगे।
इसी तरह बच्चों को स्वास्थ्य और अच्छे पोषण की जानकारी देने के लिए कोचिंग सेंटरों को छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी वर्कशॉप और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की भी जिम्मेदारी दी गई है।
ये कार्यक्रम हर दो महीने में आयोजित किए जाएंगे।
प्रणाली
कोचिंग सेंटरों को विकसित करनी होगी परमार्श प्रणाली
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि बच्चों को संकट और तनाव स्थिति में निरंतर सहायता के लिए कोचिंग सेंटरों को जिला स्तरीय समिति की देखरेख में एक बेहतर परामर्श प्रणाली विकसित करनी होगी।
इसी तरह अध्यापकों को समय-समय पर स्वास्थ्य संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा और कोचिंग सेंटरों में करियर काउंसलर की भी भर्ती की जाएगी।
ये काउंसलर छात्रों को उनकी रूचि, योग्यता और क्षमता के आधार पर भविष्य के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद करेंगे।
अन्य
विधेयक के अन्य प्रावधान क्या हैं?
कोई भी कोचिंग सेंटर भ्रामक विज्ञापन नहीं देगा और न ऐसे विज्ञापनों में भाग लेगा।
किसी भी विद्यार्थी के पाठ्यक्रम की पूरी फीस जमा कराने के बाद बीच में पढ़ाई छोड़ने पर कोचिंग सेंटर को शेष अवधि के लिए जमा फीस 10 दिन में वापस देनी होगी।
विद्यार्थियों को एक दिन में 5 घंटे से अधिक की कोचिंग नहीं दी जा सकेगी। इसी तरह प्रस्तावित कानून के अस्तित्व में आने के बाद प्रत्येक कोचिंग संस्थान को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।
जानकारी
प्रावधानों के उल्लंघन पर कितना भरना पड़ेगा जुर्माना?
प्रावधानों के पहली बार उल्लंघन पर कोचिंग सेंटर पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा और दूसरी बार में यह राशि 5 लाख रुपये होगी। तीसरी बार में रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा। केंद्र के दिशानिर्देश में जुर्माना राशि क्रमश: 1 और 2 लाख रुपये थी।
आलोचना
क्यों हो रही है विधेयक की आलोचना?
दरअसल, केंद्र के दिशानिर्देशों में केवल 16 वर्ष की आयु वाले या माध्यमिक विद्यालय की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र ही कोचिंग सेंटरों में दाखिला ले सकते हैं, लेकिन नए विधेयक में उम्र के किसी मानदंड का कोई उल्लेख नहीं है। कोचिंग सेंटर इसका लाभ उठा सकते हैं।
इसी तरह विधेयक में ब्रेल अध्ययन सामग्री, ई-रीडर और सुलभ शौचालय जैसी दिव्यांगों के अनुकूल सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि केंद्र ने इन सभी पर गौर किया था।
अवकाश
अवकाश प्रावधान को लेकर भी हो रही आलोचना
केंद्र के मसौदे में कोचिंग सेंटरों को राष्ट्रीय अवकाश, जिला कलक्टर द्वारा घोषित अवकाश और त्यौहारों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों का पालना के निर्देश थे, लेकिन नए विधेयक में केंद्रों को त्यौहारों के साथ मेल खाने के लिए छुट्टियों को अनुकूलित करने की बात कही है।
इसमें राष्ट्रीय और स्थानीय छुट्टियों का उल्लेख नहीं है।
इसी तरह विधेयक में केंद्र की फेस रिकग्निशन तकनीक के जरिए बायोमेट्रिक उपस्थिति को अनिवार्यता की भी अनदेखी की गई है।
जानकारी
छात्रों के अनुपस्थित रहने पर सूचना देने का प्रावधान नहीं
केंद्र के मसौदे में किसी छात्र के बिना पूर्व सूचना के 2 दिन से अधिक अनुपस्थित रहने पर कोचिंग सेंटर द्वारा उसके परिजनों को सूचना देने का प्रावधान था, लेकिन नए विधेयक में ऐसा कुछ नहीं है। इससे परिजनों की सुरक्षा चिंताएं बढ़ रही है।
भेदभाव
भेदभाव को खत्म करने का कोई उल्लेख नहीं
केंद्र के मसौदे में कोचिंग सेंटर में प्रवेश और शिक्षण प्रक्रिया के दौरान धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान, वंश आदि के आधार पर भेदभाव न किए जाने का प्रावधान किया गया था।
उसमें यह भी था कि महिला छात्रों और दिव्यांग छात्रों सहित कमजोर समुदायों के छात्रों के अधिक प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित करने के लिए दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 का अनुपालन के आदेश थे, लेकिन नए विधेयक में इसे छोड़ दिया गया है।
आरोप
अभिभावक संघ ने विधेयक को लेकर लगाए आरोप
अभिभावकों के संगठन संयुक्त अभिभावक संघ ने विधेयक की आलोचना की है और आरोप लगाया है कि विधेयक को कोचिंग सेंटर संचालकों को राहत देने के लिए उनके मार्गदर्शन में तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा कि विधेयक में छात्रों की आत्महत्या के मामले में केंद्रों के लिए दंड निर्धारित करने पर कोई ध्यान न देकर उन्हें खुली आजादी दी है।
इसी तरह सेंटरों द्वारा वसूली जाने वाली मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के लिए उपाय नहीं किए गए हैं।