मुंबई: होटल में मृत मिले दादर नगर हवेली सांसद मोहन डेलकर, सुसाइड नोट बरामद

दादर नगर हवेली से निर्दलीय सांसद मोहन डेलकर (58) का शव सोमवार को मुंबई के मरीन ड्राइव एरिया में स्थित एक होटल में मिलने से राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैल गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया तथा कमरे की जांच की। इस दौरान मौके से गुजराती भाषा में लिखा एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है। ऐसे में पुलिस उनके आत्महत्या करने की आशंका जता रही है।
पुलिस ने बताया कि दोपहर में मरीन ड्राइव एरिया स्थित होटल सी ग्रीन में सांसद का शव होने की सूचना मिली थी। इस पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने नहीं खोला। इसके बाद मास्टर चाबी से कमरे का दरवाजा खोला तो उनका शव पड़ा मिला। इसके बाद पुलिस ने कमरे की तलाश ली, जिसमें गुजराती भाषा में लिखा एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।
इंडिया टुडे के अनुसार डेलकर किसी काम के सिलसिले में मुंबई गए थे। इसके बाद सोमवार को होटल में उनका शव मिला है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है तथा उनके मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकशन डिटेल की भी जांच कर रही है।
मोहन डेलकर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की खबर सुनकर उनके परम दोस्त भरत सिंह सोलंकी ने घटना पर दुख जताया है। उन्होंने ABP न्यूज से कहा, "जब इस खबर का पता चला तो हमें शॉक लगा। हमने कई सालों तक उनके साथ काम किया था। वह बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे और दादर नगर हवेली तथा वहां के लोगों का विकास हमेशा उनके दिल में रहता था।" उन्होंने कहा कि उनके योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है।
डेलकर दादर और नगर हवेली से सात बाद सांसद रह चुके थे। वह साल 1989 में दादर और नगर लोकसभा क्षेत्र से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। वह एक बार भारतीय नवशक्ति पार्टी के टिकट से भी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। उन्होंने साल 2009 में कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था, लेकिन 2019 में उन्होंने खुद को पार्टी से अलग कर लिया था और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर लोकसभा तक पहुंचे थे।
बता दें कि डेलकर ने पिछले साल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठक कर दादर नगर हवेली के स्थानीय चुनावों को लेकर चर्चा की थी। इसके बाद उन्होंने स्थानीय चुनावों के लिए जनता दल यूनाइटेड (JDU) के साथ गठबंधन कर लिया था। इस गठबंधन के चलते भाजपा को दादरा और नगर हवेली के स्थानीय चुनावों में सीटों का नुकसान हुआ था। उनका अपने क्षेत्र में जनता से सीधा संवाद था और जनता के हितैषी भी थे।