
जनरल रावत हेलीकॉप्टर क्रैश: क्या होता है ब्लैक बॉक्स और ये कैसे काम करता है?
क्या है खबर?
देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर क्रैश क्यों हुआ, यह सवाल आज देश में लगभग हर व्यक्ति के मन में है।
इस सवाल का जवाब जल्द ही मिलने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मिल गया है।
ब्लैक बॉक्स क्या होता है और ये हेलीकॉप्टर की दुर्घटना के कारणों का खुलासा कैसे कर सकता है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
परिचय
क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो किसी भी विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में इसका कारण बता सकता है।
एक हार्ड डिस्क की तरह ब्लैक बॉक्स उड़ान का सारा डाटा इकट्ठा करता है। इसके अलावा यह कॉकपिट में पायलटों के बीच होने वाली बातचीत को भी रिकॉर्ड करता है ताकि पता लग सके कि दुर्घटना से ठीक पहले क्या हुआ था।
यह कंप्यूटर अनाउंसमेंट, रेडिय ट्रैफिक और यात्रियों से संबंधित अनाउंसमेंट को भी रिकॉर्ड करता है।
नामकरण
इसे ब्लैक बॉक्स क्यों कहा जाता है?
ब्लैक बॉक्स के इतिहास की शुरूआत द्वितीय विश्व युद्ध से होती है। तब विमान क्रैश होने पर दुर्घटना के कारणों का पता नहीं चल पाता था, इसलिए ब्लैक बॉक्स को बनाया गया।
तब इसे काले रंग के डिब्बे में रखा जाता है और इसी से इसे अपना नाम मिला है। हालांकि बाद में इसके रंग को बदल कर नारंगी कर दिया गया ताकि दुर्घटना की स्थिति में इसे जल्द से जल्द ढूढ़ा जा सके।
क्षमता
कठोरतम परिस्थितियों का सामना कर सकता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स को जंगरोधी स्टेनलैस स्टील या टाइटेनियम के डिब्बे में रखा जाता है और जमीन और पानी में कठोरतम पस्थितियों का सामना कर सकता है।
ब्लैक बॉक्स को पानी में भी ढूढ़ा जा सकता है और समुद्र में गिरने पर भी यह काफी समय तक ठीक से काम करता रहता है। यह 6,000 मीटर की गहराई तक खारे पानी के दबाव का सामना कर सकता है।
जंगरोधी स्टील से बनने के कारण इस पर जंग भी नहीं लगती।
प्रक्रिया
समुद्र के अंदर ब्लैक बॉक्स को कैसे ढूढ़ा जाता है?
अगर दुर्घटना के बाद विमान और ब्लैक बॉक्स समुद्र में गिरता है तो यह खारे पानी के संपर्क में आते ही सिग्नल भेजना शुरू कर देता है। इसमें अंडरवाटर लोकेटर बीकन (ULB) होता है जो 14,000 फुट की गहराई तक से अल्ट्रासॉनिक सिग्नल भेज सकता है।
30 दिन में बैटरी खत्म होने तक प्रति सेकंड ऐसे सिग्नल भेजे जाते हैं जिन्हें दो किलोमीटर के अंदर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से पकड़ा जा सकता है।
जानकारी
जमीन पर कैसे बरामद किया जाता है ब्लैक बॉक्स?
जमीन पर दुर्घटना होने पर ब्लैक बॉक्स किसी तरह का सिग्नल नहीं छोड़़ता है और जांचकर्ताओं को खुद से इसे घटनास्थल के आसपास ढूढ़ना होता है। जनरल रावत के हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स भी एक किलोमीटर के इलाके तक सर्च करने पर मिला है।
जांच
ब्लैक बॉक्स के डाटा का विश्लेषण करने में कितना समय लगता है?
ब्लैक बॉक्स के डाटा का विश्लेषण करने में 10 से 15 दिन का समय लगता है। सबसे पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से और आपस में पायलटों की बातचीत का विश्लेषण किया जाता है ताकि पता लगाया जा सके पायलटों को विमान में कुछ गड़बड़ी होने का अंदेशा था या नहीं और इसे काबू में करने के लिए उन्होंने क्या किया।
अगर पायलट की गलती होती है तो इससे वो भी साफ हो जाती है।