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    #Exclusive: बंद पड़ी चार धाम यात्रा से लाखों परिवारों पर आया संकट, जानिये कैसे हैं हालात

    #Exclusive: बंद पड़ी चार धाम यात्रा से लाखों परिवारों पर आया संकट, जानिये कैसे हैं हालात
    लेखन भारत शर्मा
    May 26, 2020, 07:36 pm 1 मिनट में पढ़ें
    #Exclusive: बंद पड़ी चार धाम यात्रा से लाखों परिवारों पर आया संकट, जानिये कैसे हैं हालात

    देश में लोगों को अपनी चपेट में लेकर मौत की ओर खींचने वाला खतरनाक कोरोना वायरस अब लोगों की भुखमरी का भी कारण बनता जा रहा है। कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन से जहां लाखों लोगों की नौकरी गई, वहीं लाखों का रोजगार ठप हो गया। बहुत बड़ी मार पड़ी है उत्तराखंड राज्य में हर साल चार धाम यात्रा के जरिए पूरे साल अपने परिवार का पेट पालने वालों पर। आइए जानें उन पर कैसे और कितना असर हुआ है।

    देश में लगभग डेढ़ लाख पहुंच चुकी है कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या

    देश में मंगलवार तक कोरोना वायरस संक्रमितों की कुल संख्या 1,45,380 पहुंच गई है। इसमें मृतकों की संख्या 4,167 है। वहीं उत्तराखंड में संक्रमितों की संख्या 402 हो गई है और यहां अब तक चार लोगों की मौत हुई है।

    क्या है चार धाम यात्रा और कब होती है?

    उत्तराखंड स्थित हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थल यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ चार धाम यात्रा में आते हैं। यहां प्रतिवर्ष 15 अप्रैल से 15 जून के बीच लाखों की संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं। साल 2019 में यहां करीब 34.50 लाख लोग यात्रा करने पहुंचे थे। इस साल कोरोना वायरस के कारण देश में लागू लॉकडाउन की वजह से यात्रा शुरू नहीं हो सकी। वहीं इस बार महज 10-15 लोगों की मौजूदगी में ही मंदिरों के कपाट खोले गए हैं।

    दस लाख परिवारों पर आया रोजी-रोटी का संकट

    इस बारे में हमने उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के प्रवक्ता कमल किशोर जोशी से बात की। उन्होंने बताया कि यह यात्रा करीब दस लाख परिवारों के चूल्हे में ईंधन का काम करती है और इससे करीब 12,000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। उत्तराखंड के लोग यात्रा के लिए महीनों पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं और साल भर का 80% व्यापार इन्हीं दो महीनों में होता है। ऐसे में इन परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है।

    2.5 लाख बस-टैक्सी वालों का छिना रोजगार

    उत्तराखंड टूर ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक अहलुवालिया ने हमें बताया कि यात्रा में राज्य की करीब 50,000 बसें और दो लाख टैक्सी/कार परिवहन का काम करती है। इनमें करीब छह लाख लोगों का परिवार पलता है। बस और टैक्सी मालिक यात्रा शुरू होने से पहले हजारों रुपयें खर्च कर वाहनों की मरम्मत कराते हैं, ताकि यात्रा के दौरान कोई परेशानी नहीं आए। ऐसे में इस बार यात्रा शुरू नहीं होने से इन लोगों पर आर्थिक समस्या आ गई है।

    परिवहन के जरिए होता है करीब 27 अरब रुपये का कारोबार

    अहलुवालिया ने बताया कि यात्रा में प्रति व्यक्ति करीब 8,000 रुपये परिवहन खर्च आता है। ऐसे में इन 2.5 लाख बस और टेक्सी संचालकों के जरिए पूरी यात्रा के दौरान राज्य को करीब 27 अरब रुपये का कारोबार दिया जाता है।

    होटल-धर्मशाला और ढाबों का कारोबार हुआ ठप

    अहलुवालिया ने बताया कि चार धाम यात्रा मार्ग पर करीब पांच हजार से अधिक होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं संचालित हैंं। इनके जरिए करीब 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इनके जरिए राज्य को करीब 35 अरब रुपये का कारोबार होता है। इसी तरह मार्ग पर करीब 25 हजार रेस्टोरेंट और ढाबों से एक लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इससे राज्य को करीब 21 अरब का कारोबार मिलता है। जो अब बिलकुल बंद हैं।

    वाहनों की किस्त भरने का तक का नहीं है पैसा

    द टैक्सी जंक्शन के संचालक अजय भारद्वाज ने बताया कि यात्रा उनके लिए लाइफ लाइन है। यात्रा से पहले उन्होंने करीब एक लाख रुपये की लागत से अपने वाहनों की मरम्मत कराई थी, लेकिन यात्रा शुरू नहीं होने से अब उनके पास वाहनों की किस्त भरने का भी पैसा नहीं रहा है। उत्तरकाशी में होटल हिमगिरी के संचालक धीरज सेमवाल ने बताया कि होटल ही उनके रोजगार का प्रमुख स्रोत है, लेकिन अब वह बेबस हो गए हैं।

    यात्रियों को पूजा-पाठ कराकर पेट पालने वाले पंड़ा-पुरोहितों की भी है बुरी हालत

    यात्रा शुरू नहीं होने का असर खच्चर-पालकी वालों के साथ केदारनाथ और ब्रदीनाथ में यात्रियों से विशेष पूजा पाठ कराने वाले करीब छह हजार पंड़ा-पुरोहितों पर भी पड़ा है। वर्तमान में कोरोना की मार के कारण इन्हें कहीं और भी रोजगार नहीं मिल रहा है।

    10 हजार खच्चर पालकी वालों के सामने आई भूखे मरने की नौबत

    यात्रा शुरू नहीं होने का बड़ा असर पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले करीब 10 हजार खच्चर और पालकी वालों पर पड़ा है। ये लोग यात्रियों को तीर्थ स्थान पर पहुंचाकर अपने सालभर का जुगाड़ करते हैं और यही इनके जीने का आधार भी है, लेकिन इस बार इनमें सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। अफसोस की बात यह है कि सरकार की ओर से भी अभी तक इनके लिए कोई विशेष राहत पैकेज की घोषणा नहीं की है।

    बंद पड़े हैं पांच दर्जन हेलीकॉप्टरों के पंखें

    यहां करीब दस कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान करती हैं। इससे राज्य को करीब तीन अरब रुपये का कारोबार मिलता है। इससे लगभग पांच हजार लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन यात्रा नहीं होने से लोग बेरोजगार हो गए और कंपनियों को घाटा हो रहा है।

    यात्रा शुरू नहीं होने का किसानों पर भी पड़ रहा है असर

    चार धाम यात्रा का असर सीधे इससे जुड़े लोगों पर ही नहीं बल्कि परोक्ष रूप से इस पर निर्भर किसानों पर भी बढ़ता है। यात्रा कमजोर रहने पर गांवों में होने वाले राजमा, सेब, खुमानी जैसी तमाम चीजों के दाम बहुत गिर जाते हैं। इससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मेहनताना नहीं मिल पाता है। इसी तरह मंदिरों में प्रसाद स्वरूप चढ़ने वाली चीजों का उत्पादन करने वालों के सामने भी बड़ी परेशानी खड़ी जो जाती है।

    सरकार की ओर की गई है महज 75 करोड़ रुपये की राहत पैकेज की घोषणा

    जिस चार धाम यात्रा के जरिए राज्य को 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिलता है। उससे प्रभावित होने वाले लोगों की राहत के लिए उत्तराखंड सरकार ने महज 75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है। इसमें यात्रा से जुड़े लोगों को राहत के लिए 1,000-1,000 रुपये देना, वाहन चालकों को दो महीने के रोड टैक्स में छूट देना, होटल, रेस्टोरेंट और ढाबों का तीन महीने का बिजली बिल फिक्स करना आदि शामिल है।

    क्या सरकार इन लोगों के लिए कुछ करेगी?

    सरकार द्वारा लॉकडाउन में लगातार ढील दी जा रही है। ऐसे में उम्मीद है कि लॉकडाउन के बाद यात्रा पर कोई निर्णय होगा। 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज बांटने पर अपना सीना पीट रही सरकार को इन लोगों के लिए भी कुछ सोचना चाहिए।

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