
लखनऊ: बरामद हुई 10 करोड़ रुपये की व्हेल की उल्टी, यह इतनी महंगी क्यों होती है?
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (UPSTF) ने लखनऊ में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पर व्हेल की उल्टी (एम्बरग्रीस) की तस्करी का आरोप है।
STF ने छापेमारी कर इनके पास से 4.12 किलोग्राम एम्बरग्रीस बरामद की है, जिसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसका इस्तेमाल परफ्यूम बनाने के लिए होता है।
बता दें कि वन्यजीव (सरंक्षण) कानून, 1972 के तहत व्हेल की उल्टी बेचना प्रतिबंधित है।
तस्करी
पहले भी हो चुकी हैं गिरफ्तारियां
UPSTF ने ट्विटर पर लिखा कि 5 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम के अंतर्गत प्रतिबंधित एम्बरग्रीस की तस्करी करने वाले गिरोह के चार सदस्यों को 10 करोड़ रुपये की 4.12 किलोग्राम की एम्बरग्रीस सहित गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों के नाम फिरोज, अविनाश, दानिश और अभय हैं।
बता दें कि व्हेल की उल्टी की तस्करी के मामले में ये पहली गिरफ्तारी नहीं है। इस साल कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
जानकारी
इतनी महंगी क्यों होती है एम्बरग्रीस?
एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल के पाचन तंत्र में पैदा होता है। यह व्हेल की आंत में बना मोम जैसा ठोस और ज्वलनशील पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक और दवाओं में इस्तेमाल होता है।
रोचक बात यह भी है कि स्पर्म व्हेल में से केवल 1 प्रतिशत ही एम्बरग्रीस का उत्पादन करती हैं।
रासायनिक रूप से एम्बरग्रीस में कोलेस्ट्रॉल जैसा एल्कलॉइड, एसिड और एंब्रेन नामक एक विशिष्ट यौगिक होता है। इसकी कीमत के कारण इसे तैरता हुआ सोना भी कहा जाता है।
मांग
दुबई आदि जगहों पर एम्बरग्रीस की अधिक मांग
एम्बरग्रीस का प्रमुख इस्तेमाल कस्तूरी जैसी सुगंध तैयार करने में होता है। दुबई आदि जगहों पर, जहां परफ्यूम का बड़ा बाजार है, वहां इसकी मांग अधिक है। पुराने समय में मिस्त्र के लोग सुगंधित धूप बनाने में इसका उपयोग करते थे।
भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में एम्बरग्रीस के व्यापार और इसे रखने पर रोक लगी हुई है। वहीं कई देशों में कुछ सीमाओं के साथ इसका व्यापार किया जा सकता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
कैसी होती है स्पर्म व्हेल?
स्पर्म व्हेल का वैज्ञानिक नाम फिसेटर कैटोडोन है और इसे काचलोट भी कहा जाता है। ये दांत वाली व्हेल में सबसे बड़ी होती है और अपने चौकोर सिर और संकीर्ण निचले जबड़े के कारण आसानी से पहचान में आ जाती हैं।
इनका रंग नीला-भूरा या भूरा होता है और पेट पर सफेद धब्बे बने होते हैं। इसकी पीठ पर गोल कूबड़ की श्रृंखला होती है और इसमें छोटे पैडल जैसे फ्लिपर्स होते हैं।