पश्चिम बंगाल: मालदा जेल से 104 वर्षीय व्यक्ति 36 साल बाद रिहा, क्यों मिली थी सजा?
पश्चिम बंगाल की मालदा जेल में पिछले 36 साल से बंद 104 वर्षीय रसिक चंद्र मंडल मंगलवार को जेल से बाहर आ गए। रसिक ने 1988 में जमीन के विवाद में अपने भाई सुरेश की घर में घुसकर हत्या की थी, जिसके बाद उनको जेल हुई। 1994 में उनको उम्र कैद की सजा मिली थी। गिरफ्तारी के समय रसिक 68 साल के थे। जीवन के 3 दशक बंद रहने के बाद वे बाहरी दुनिया में असहज महसूस कर रहे हैं।
कैसे हुई थी सजा?
रसिक का अपने भाई सुरेश मंडल से उपजाऊ भूमि के हिस्से को लेकर झगड़ा था, जिसके बाद रसिक ने सुरेश को गोली मारी थी। विधवा की शिकायत पर रसिक गिरफ्तार हुए और उन पर मुकदमा चला। ट्रायल कोर्ट ने 1994 में रसिक और पड़ोसी जतिन मंडल को दोषी पाकर उम्र कैद की सजा सुनाई। कुछ साल पहले रसिक और जतिन 1 साल की पैरोल पर बाहर आए थे, तब जतिन की मौत हो गई और रसिक वापस जेल चले गए।
कैसे मिली रिहाई?
रसिक वापस जेल गए तो उन्होंने सत्र और कोलकाता हाई कोर्ट में अपनी जमानत के लिए याचिका लगाई, लेकिन सभी खारिज कर दी गई। उसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 7 मई, 2021 को तत्कालीन न्यायमूर्ति ए अब्दुल नजीर और अब मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की पीठ ने बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर रसिक की मानसिक और शारीरिक हालत पूछी थी। राज्य सरकार द्वारा रसिक को स्वस्थ्य बताने पर सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को जमानत दे दी।
जेल से बाहर आकर क्या करेंगे रसिक?
रसिक ने बताया कि जेल से बाहर आने के बाद वे बागवानी करेंगे और अपने नाती-पोतों के साथ खेलेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें जेल की दिनचर्या की आदत हो गई है। जेल में सब परिवार की तरह थे, बाहर आने पर सभी की याद आएगी।