मणिपुर में हिंसा फैलाने के लिए म्यांमार से हुई थी हथियारों की तस्करी- रिपोर्ट
क्या है खबर?
मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से जारी हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है।
खुफिया एजेंसियों ने दावा किया है कि हिंसा के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियारों की तस्करी म्यांमार के रास्ते की गई थी।
बतौर रिपोर्ट्स, इसी महीने म्यांमार से मणिपुर में हथियारों की एक बड़ी खेप भेजी गई थी।
मणिपुर हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
हथियार
चीन-म्यांमार सीमा पर स्थित काले बाजार से खरीदे गए थे हथियार
इंडिया टुडे के मुताबिक, मणिपुर में सक्रिय विद्रोही समूहों को इसी महीने 3 वाहनों में हथियारों की एक बड़ी खेप मिली।
यह हथियार कथित तौर पर म्यांमार और चीन की सीमा के पास स्थित काले बाजार से खरीदे गए थे, जिन्हें बाद में मणिपुर भेज दिया गया।
हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए असम राइफल्स को हाई अलर्ट पर रखा गया है और भारत-म्यांमार सीमा पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है।
समर्थन
मैतेई और कुकी, दोनों समुदाय का समर्थन कर रहे हैं उग्रवादी संगठन
सुरक्षा बलों ने कहा है कि मणिपुर के उग्रवादी संगठन बड़े स्तर पर गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय और कुकी आदिवासियों के बीच जारी जातिगत हिंसा का हिस्सा बन रहे हैं। ये संगठन सड़कों पर प्रदर्शन में भी शामिल हो रहे हैं।
मणिपुर सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौता करने वाले कुकी विद्रोही समूह के सदस्य भी संघर्ष में सक्रिय रहे हैं।
दूसरी तरफ मैतेई समुदाय की मैतेई उग्रवादी संगठनों द्वारा मदद की जा रही है।
हिंसा
मणिपुर हिंसा में कौन से उग्रवादी संगठन हैं शामिल?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर (PLAM), कांगलेई यावोल कन्ना लूप (KYKL) और पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK) के सदस्यों ने इंफाल घाटी में मौजूद कुकी गांवों को निशाना बनाया है।
पिछले दशक में इन विद्रोही समूहों ने जनता का समर्थन खो दिया था और उनके शिविर मुख्य तौर पर म्यांमार और बांग्लादेश में स्थित थे, लेकिन 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद ये दोबारा सक्रिय हो गए।
कार्रवाई
इंफाल पूर्वी जिले में 4 हथियार तस्कर गिरफ्तार
इंफाल पूर्वी जिले में छापेमारी के दौरान हथियारों की तस्करी करने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें इंडियन रिजर्व बटालियन (IRB) का एक जवान भी शामिल है।
सुरक्षा बलों को हथियार तस्करों के एक गिरोह की मौजूदगी के बारे में एक गुप्त सूचना मिली थी। इस पर कार्रवाई करते हुए इम्फाल पूर्वी जिला कमांडो, हेइनगांग पुलिस और 16वीं जाट रेजिमेंट की एक संयुक्त टीम ने कैरांग अवांग लीकाई, खोमिदोक और हेइख्रुमाखोंग में तलाशी अभियान चलाया।
हिंसा
मणिपुर में कैसे भड़की थी हिंसा?
मणिपुर हाई कोर्ट ने मणिपुर सरकार से गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की याचिका पर विचार करने को कहा था। इसका कुकी आदिवासियों ने विरोध किया और उनकी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को हिंसा भड़क गई थी।
उसके बाद से ही मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। यहां लगातार अलग-अलग इलाकों में हिंसा और गोलबारी की घटनाएं जारी हैं।