
अपनी वसीयत लिखने की बना रहे हैं योजना? इन गलतियों से बचें
क्या है खबर?
अगर चाहते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद आपकी संपत्ति आपकी इच्छा के अनुसार बांटी जाए, तो वसीयत बनाना बहुत जरूरी है। हालांकि, अगर वसीयत सही तरह नहीं बनी हो, तो घर में झगड़े, देरी और काफी परेशानी हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपकी संपत्ति गलत हाथों में जा सकती है। वसीयत की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं और कई बार यह अमान्य भी हो सकती है। आइए जानते हैं वसीयत बनाते समय क्या गलती नहीं करनी चाहिए।
#1
गवाह और दस्तावेजी प्रक्रिया में बरतें सावधानी
वसीयत में गवाह के रूप में उस व्यक्ति को न रखें, जिसे आप संपत्ति देना चाहते हैं यानी लाभार्थी को गवाह न बनाएं। भारतीय कानून के अनुसार, ऐसा करने से वसीयत अमान्य हो सकती है। वसीयतकर्ता को गवाहों की मौजूदगी में दस्तावेज पर साइन करना चाहिए। बेहतर होगा कि दो भरोसेमंद लोग गवाह हों। मानसिक स्थिति ठीक है, यह दिखाने के लिए डॉक्टर का प्रमाणपत्र जोड़ें। इससे वसीयत पर बाद में कोई शक नहीं होगा और कानूनी अड़चन नहीं आएगी।
#2
वसीयत को प्रमाणित और साफ-साफ लिखा जाए
अगर वसीयत का प्रमाणीकरण न हो, तो उस पर लोग शक कर सकते हैं और बाद में कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। इसे रजिस्टर या नोटरी करवाना जरूरी होता है, ताकि उसकी वैधता साबित हो सके। वसीयत में किसी भी चीज को लेकर भ्रम न हो, इसलिए साफ और सीधी भाषा में लिखें कि कौन-सी संपत्ति किसे देनी है। इससे परिवार में झगड़ा नहीं होगा और सबको समय पर हक मिल सकेगा। वसीयत जितनी साफ होगी, उतनी असरदार होगी।
#3
अपडेट और कोडिसिल से रहे स्पष्टता
वसीयत में समय-समय पर बदलाव करना जरूरी होता है, ताकि आपकी इच्छा के अनुसार संपत्ति सही व्यक्ति को मिले। इसके लिए 'कोडिसिल' नाम की प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, जिसमें पुरानी वसीयत में किए गए बदलाव लिखे जाते हैं। वसीयत में हर संपत्ति का पूरा और साफ विवरण जरूर दें, जैसे जमीन का पता या गहनों की जानकारी। किसी वकील या जानकार से सलाह लेकर ही वसीयत बनाएं, ताकि भविष्य में कोई कानूनी विवाद न हो सके।