उत्तराखंड: भू-कानूनों को सख्त कर सकती है सरकार, बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदना होगा मुश्किल
क्या है खबर?
उत्तराखंड की सरकार भू-कानूनों को और सख्त करने की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट्स के हवाले से यह जानकारी सामने आ रही है।
उत्तराखंड का नया प्रस्तावित कानून, हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम 1972 से प्रभावित है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण को सीमित करके राज्य के हितों की रक्षा करना है।
इससे पहले उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि जन भावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है।
उत्तराखंड
उच्च स्तरीय समिति ने रिपोर्ट में क्या कहा?
मुख्यमंत्री धामी द्वारा अगस्त 2022 में गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में गैर-नगरपालिका पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि खरीद पर सख्त प्रतिबंध का सुझाव दिया था।
द स्टेट्समैन की रिपोर्ट के अनुसार, समिति के एक सदस्य ने कहा कि नया कानून हिमाचल प्रदेश मॉडल का बारीकी से अनुसरण करता है। इस मॉडल में गैर-उत्तराखंड मूल निवासियों को ग्रामीण पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण करने से रोकने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
जानकारी
समिति ने रिपोर्ट में और क्या सिफारिश की?
रिपोर्ट में राज्य के संसाधनों का दोहन करने वाले बाहरी निवेशकों की चिंताओं को संबोधित करते हुए शहरी क्षेत्रों में भूमि खरीद की सीमा तय करने की भी सिफारिश की गई है।
समिति
सिफारिशों के अध्ययन के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन
बता दें कि विभिन्न जिलों में वर्तमान के भू-कानूनों में बदलाव के लिए बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था।
इसके बाद राज्य सरकार ने 2022 में पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता वाले एक पैनल द्वारा प्रस्तुत मसौदा रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन किया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सिफारिशों से पहाड़ियों में भूमि लेन-देन के लिए 12.5 एकड़ की सीमा को बहाल किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश
क्या है हिमाचल प्रदेश भू-कानून?
हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा-118 में यह प्रावधान है कि कोई भी कृषि भूमि किसी गैर कृषि कार्य के लिए नहीं बेच सकता। धोखे से जमीन बेची गई तो जांच के बाद जमीन सरकार की होगी।
साल 2007 में धारा-118 में संशोधन कर उन बाहरी राज्यों के व्यक्तियों को अनुमति दी, जो राज्य में 15 साल से रह रहे थे। बाद में इसे बढ़ाकर 30 साल कर दिया गया।
उत्तराखंड
उत्तराखंड भू-कानून में 2018 में हुआ था बदलाव
2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने बाहरी लोगों को 500 वर्गमीटर की सीमा के साथ पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने की इजाजत दी थी।
इसके बाद की सरकारों ने भूमि लेनदेन को रोकने के लिए इस सीमा को 250 वर्गमीटर कर दिया।
हालांकि, 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पहाड़ी क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए इन प्रतिबंधों को हटा दिया, जिसके बाद 2019 से इन संशोधनों को खत्म करने की मांग उठने लगी।