उत्तराखंड में भू कानून को मिली मंजूरी, क्या कुछ बदलेगा?
क्या है खबर?
उत्तराखंड में भू कानून को मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने कानून को मंजूरी दे दी है। सरकार अब इसे बजट सत्र के दौरान पेश कर सकती है।
इस कानून की मांग राज्य में लंबे समय से उठ रही थी। फिलहाल विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। माना जा रहा है कि इसी सत्र में भू कानून से जुड़े विधेयक को पेश किया जा सकता है।
आइए जानते हैं कानून से क्या-क्या बदलेगा।
कानून
क्या है नया भू कानून?
भू कानून के तहत राज्य में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं। इससे बाहरी लोगों के अनियंत्रित जमीन खरीद पर रोक लगेगी और स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा की जा सकेगी।
अब दूसरे राज्यों के लोग 250 वर्ग मीटर तक ही जमीन उत्तराखंड में खरीद सकेंगे। वर्तमान में लचीले कानूनों की वजह से जमीन खरीद को लेकर लगातार विवाद सामने आते रहते थे।
बदलाव
हो सकते हैं ये बदलाव
उत्तराखंड में बाहरी लोग 250 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन नहीं खरीद सकेंगे। अगर कोई तय सीमा से ज्यादा जमीन खरीदता है तो उस पर शिकंजा कसा जाएगा।
कानून लागू होने के बाद राज्य में जमीनों की अंधाधुंध बिक्री पर लगाम लगेगी। इससे किसानों का भी फायदा होगा।
उत्तराखंड के स्थानीय लोगों के लिए जमीन खरीदने की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। इसके अलावा निवेशकों को भी सीमा से छूट दी गई है।
अनुमति
ज्यादा जमीन खरीदने के लिए लेनी होगी अनुमति
उत्तराखंड में अगर कोई बाहरी व्यक्ति जमीन लेना चाहता है तो उसको पहले स्थानीय जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी।
अधिकारी जांच करेंगे कि खरीददार किस मकसद से जमीन खरीदना चाहता है, ताकि अंधाधुंध खरीद और गलत इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके।
भू कानून के इस प्रस्ताव को बजट सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक के पारित होते ही राज्य में भूमि खरीद से जुड़े नए नियम लागू हो जाएंगे।
बयान
कानून को मंजूरी मिलने पर मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री ने कहा, 'जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।'