फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का दावा- पूर्व नियोजित और सांप्रदायिक रूप से प्रेरित था बेंगलुरू दंगा
क्या है खबर?
बेंगलुरू में 11 अगस्त की रात को फेसबुक पर डाली गई आपत्तिजनक पोस्ट के कारण हुए दंगे को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
दंगे के संबंध में सिटिजन्स फॉर डेमोक्रेसी की ओर से मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को सौंपी गयी अपनी तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरू दंगा पूर्व नियोजित और संगठित तौर पर अंजाम दिया गया था और यह सांप्रदायिक रूप से प्रेरित था।
इस रिपोर्ट ने जांच को नया एंगल दे दिया है।
प्रकरण
पूरी रात हिंसा की आग में जला था बेंगलुरू
बीते महीने बेंगलुरू के पुलिकेशिनगर के कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे ने कथित तौर पर फेसबुक पर एक 'आपत्तिजनक' पोस्ट डाली थी।
इसके विरोध में भारी संख्या में लोग पुलिस थाने और विधायक के घर के बार पहुंच गए और पोस्ट करने वाले युवक पर कार्रवाई की मांग की। थोड़ी देर बाद भीड़ हिंसक हो गई और जमकर उत्पात मचाया।
स्थिति नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी।
मंच
जिम्मेदार नागरिकों का मंच है 'सिटिजन्स फॉर डेमोक्रेसी'
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 'सिटिजन्स फॉर डेमोक्रेसी' जिम्मेदार नागरिकों का एक मंच है।
इसका दावा है कि वह नागरिकों के लोकतांत्रिक मूल्यों और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2011 से उसने राष्ट्रीय और सामाजिक महत्व के विषयों पर विभिन्न सेमिनार अभियान चलाए हैं।
संगठन ने दावा किया कि उसने हालिया हिंसा की निष्पक्ष पड़ताल के लिए समाज के अग्रणी प्रतिनिधियों की एक तथ्यान्वेषी समिति (फैक्ट फाइंडिंग कमेटी) बनाई थी, जिसने बिना भेदभाव अपनी रिपोर्ट तैयार की है।
जानकारी
समिति में इन पूर्व अधिकारियों को किया गया था शामिल
सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश श्रीकांत डी बाबालाडी की अध्यक्षता वाली तथ्यान्वेषी समिति में सेवानिवृत्त IAS अधिकारी मदन गोपाल, सेवानिवृत्त IFS अधिकारी आर राजू सहित सेवानिवृत्त नौकरशाह, पत्रकार, वकील, प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। समिति ने मदन गोपाल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी है।
दावा
रिपोर्ट में किया हिंदुओं को निशाना बनाने का दावा
समिति की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिंसा के दौरान कुछ प्रमुख हिंदुओं को निशाना बनाया गया तथा पूरी घटना राज्य के खिलाफ दंगे की तरह थी। इस हिंसा का मकसद राज्य सरकार के प्रति लोगों के भरोसे को तोड़ना था।
रिपोर्ट के अनुसार हिंसा में 36 सरकारी और करीब 300 निजी वाहनों तथा कई मकानों में तोड़फोड़ की गई थी।
समिति ने इस हिंसा में 10 से 15 करोड़ रुपये नुकसान का अनुमान लगाया है।
हिंसा
स्थानीय लोग भी हिंसा में थे शामिल- रिपोर्ट
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिकी और पीड़ितों के बयानों के आधार पर स्थानीय लोग भी हिंसा में शामिल थे। उन स्थानीय लोगों को घटना के संबंध में पहले से ही जानकारी थी। इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तौर पर पेश करने का प्रयास किया गया था, लेकिन यह निसंदेह सांप्रदायिक रूप से प्रेरित हिंसा थी।
रिपोर्ट में यह भी लिखा है हिंसा का मकसद दहशत कायम करना था ताकि इलाके को मुस्लिम बहुल क्षेत्र बना दिया जाए।
PFI
समिति ने हिंसा में PFI का हाथ होने की भी जताई आशंका
समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस घटना की साजिश रचने और उसे अंजाम देने में कथित तौर पर SDPI और PFI की संलिप्तता थी। इन दोनों संगठनों ने ही लोगों को हिंसा के लिए प्रेरित किया था।
बता दें कि कांग्रेस विधायक के एक रिश्तेदार की भड़काऊ पोस्ट के बाद भड़की हिंसा में लोगों ने विधायक के घर और पुलिस थाने को आग लगा दी थी। मामले में 300 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।