पुणे पोर्शे दुर्घटना: नाबालिग आरोपी का दादा गिरफ्तार, चालक को किया था घर में कैद
पुणे में अपनी तेज रफ्तार पोर्शे कार से टक्कर मारकर 2 इंजीनियर की हत्या करने वाले नाबालिग आरोपी के दादा को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें परिवार के चालक को घर में जबरदस्ती कैद रखने और घटना को दोष अपने ऊपर लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। NDTV के अनुसार, आरोपी के दादा पर अपहरण की धारा भी लगाई जा सकती है। नाबालिग और उसके पिता समेत 6 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
क्या है मामला?
19 मई को पुणे के कल्याणी नगर में रात लगभग 2:30 बजे एक बड़े बिल्डर के नाबालिग बेटे ने अपनी पोर्शे कार से एक बाइक को टक्कर मार दी थी। हादसे में बाइक सवार अश्विनी कोष्ठा और अनीश अवधिया की मौत हो गई थी। इसके बाद कार बेकाबू होकर एक दूसरी गाड़ी को टक्कर मारते हुए रैलिंग से टकरा गई। पुलिस के अनुसार, घटना के समय आरोपी नशे में था और कार की रफ्तार लगभग 200 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
आरोपी के दादा ने चालक को फंसाने की कोशिश की
पुलिस के अनुसार, घटना के चंद मिनट बाद ही नाबालिग आरोपी के परिजनों ने चालक पर दुर्घटना का दोष अपने ऊपर लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया। पुणे क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने NDTV को बताया, "घटना के बाद नाबालिग आरोपी के दादा और पिता ने चालक का फोन छीन लिया और उसे 19 से 20 मई तक उनके बंगले में स्थित उसके घर में कैद रखा। उसकी पत्नी ने चालक को मुक्त कराया।"
दादा ने ही नाबालिग को दी थी कार की चाबी और क्रेडिट कार्ड
पुलिस के अनुसार, नाबालिग आरोपी ने 12वीं कक्षा में पास होने के बाद परिवार से पार्टी करने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद दादा ने ही उसके पिता से बात कर कार की चाबी और क्रेडिट कार्ड आरोपी पोते को दिया था। दादा ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि उन्हें नाबालिग को कार की चाबी देने के परिणामों के बारे में पता नहीं था। इन्हीं सब आरोपों को देखते हुए आरोपी के दादा को गिरफ्तार किया गया है।
चालक के कार चलाने पर पुलिस क्या बोली?
पुणे पुलिस का कहना है कि दुर्घटना के समय नाबालिग आरोपी ही कार चला रहा था। पुलिस उपायुक्त (DCP) अमोल जेंडे ने कहा, "चालक ने हमें बताया कि नाबालिग नशे में होने के बावजूद कार चलाने पर अड़ा था। इसके बाद चालक ने नाबालिग के पिता को फोन लगाया। पिता ने चालक से कहा कि वो यात्री सीट पर बैठ जाए और बेटे को गाड़ी चलाने दे। चालक बात मानते हुए यात्री सीट पर बैठ गया।"
कोर्ट ने निबंध लिखवाकर आरोपी को दिया था छोड़
बता दें कि मामले में किशोर न्याय बोर्ड ने मात्र 15 घंटे के अंदर बेहद मामूली शर्तों के साथ नाबालिग आरोपी को जमानत दे दी थी, जिसके बाद यह मामला देशभर में सुर्खियों में छा गया था। कोर्ट ने उससे सड़क दुर्घटनाओं पर एक 300 शब्दों का निबंध लिखने और ट्रैफिक पुलिस के साथ 15 दिन काम करने का निर्देश दिया था। विवाद के बाद कोर्ट ने यह आदेश वापस ले उसे किशोर अवलोकन गृह भेज दिया था।