राफेल डीलः सुप्रीम कोर्ट से सरकार को बड़ी राहत, जांच की मांग वाली याचिकाएं खारिज
क्या है खबर?
राफेल डील को लेकर केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सरकार के फैसले में अनियमितता नहीं मिली है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर विपक्ष ने इस डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। राहुल गांधी कई बार डील को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध चुके हैं।
जानकारी
कोर्ट ने कही यह बात
इस मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि हमने गौर से दस्तावेजों को पढ़ा है, हमने रक्षा अधिकारियों से बात की है और हम सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं।
ट्विटर पोस्ट
हम प्रक्रिया से संतुष्ट- कोर्ट
Supreme Court: We are satisfied that there is no occasion to doubt the process. A country can’t afford to be underprepared. Not correct for the Court to sit as an appellant authority and scrutinise all aspects. #RafaleDeal https://t.co/djJheTLAhr
— ANI (@ANI) December 14, 2018
सुप्रीम कोर्ट
राफेल डील से जुड़ी सारी याचिकाएं खारिज
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हम सरकार को 126 विमान खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। कोर्ट के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह मामले के हर पहलू को जांचे।
उन्होंने कहा कि कीमतों की जानकारी की तुलना करना हमारा काम नहीं है।
साथ ही उन्होंने कहा कि ऑफसेट पार्टनर के विकल्प में दखल देने की कोई वजह नहीं है।
इसी के साथ कोर्ट ने राफेल डील को लेकर दायर की गई याचिकाएं खारिज कर दी।
विपक्ष की मांग
विपक्ष कर रहा है विमानों की कीमत बताने की मांग
विपक्ष लगातार सरकार से इस डील में खरीदे जाने वाले विमानों की कीमत का खुलासा करने की मांग कर रहा है।
वहीं सरकार गोपनीयता का हवाला देकर इन विमानों की कीमत बताने से इनकार कर रही है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से बंद लिफाफे में इन विमानों की कीमतें मांगी थी, जिसे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है।
साथ ही विपक्ष इस मामले से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बाहर करने पर भी सवाल उठा रहा है।
याचिककर्ताओं की मांग
कोर्ट की देखरेख में जांच की मांग
राफेल डील की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी आदि शामिल थे।
इन्होंने कोर्ट की देखरेख में इस मामले की जांच करने की मांग की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना के अधिकारियों को भी कोर्ट में बुलाया था।
अधिकारियों ने बताया कि 1985 से वायुसेना में कोई नया लड़ाकू विमान शामिल नहीं किया गया है।