पाकिस्तान सरकार ने मानी ऋषि कपूर की बात, पुश्तैनी हवेली को लेकर किया बड़ा ऐलान
एक समय था जब बॉलीवुड में कपूर खानदान का दबदबा था। आज इनका दबदबा कम हुआ है, लेकिन पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है। कपूर खानदान की बात करें तो इनकी जड़ें पाकिस्तान के पेशावर से जुड़ी हुई हैं। पेशावर में इनका एक पुश्तैनी घर है। इसको लेकर पाकिस्तान सरकार ने बड़ा फ़ैसला लिया है। बता दें कि ऋषि कपूर ने पाकिस्तान सरकार से पेशावर में स्थित अपने पुश्तैनी घर को संग्रहालय में बदलने की गुजारिश की थी।
पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित है पुश्तैनी घर
पाकिस्तानी गृहमंत्री शहरयान खान अफरीदी ने इसके बारे में कहा कि, उन्हें ऋषि कपूर का फोन आया था। फोन पर ऋषि कपूर ने पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित अपने घर को किसी संस्थान या संग्रहालय में बदलने की गुजारिश की थी। अफरीदी ने बताया कि ऋषि कपूर की इस गुजारिश को स्वीकार कर लिया गया है और सरकार इस ओर काम कर रही हैं। जल्द ही ऋषि कपूर का पुश्तैनी घर संग्रहालय में तब्दील हो जाएगा।
आज़ादी के समय पुश्तैनी हवेली छोड़कर भारत आ गया था कपूर खानदान
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान के पेशावर में हिंदी सिनेमा के बेहतरीन अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के पिता बशेश्वरनाथ कपूर ने एक हवेली बनवाई थी। पृथ्वीराज कपूर और उनके बेटे राज कपूर का जन्म इस हवेली में ही हुआ था। साल 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान से ज्यादातर हिंदू भारत आ गए थे। उसी समय कपूर खानदान भी पेशावर की 60 कमरों वाली पुश्तैनी हवेली छोड़कर भारत आ गया था।
जर्जर हालत में है हवेली
कपूर खानदान के 1947 में भारत आने के बाद हवेली का हस्तांतरण होता गया। इस पांच मंजिला हवेली में 60 कमरे हैं यह हवेली अब जर्जर हालत में है।
पृथ्वीराज कपूर ने हिंदी सिनेमा को दी पहली बोलती फिल्म
हिंदी सिनेमा में पृथ्वीराज कपूर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। पृथ्वीराज ने हिंदी सिनेमा को कई शानदार फिल्में दीं। 'मुग़ल-ए-आज़म' में निभाए गए अकबर के किरादर को आज भी याद किया जाता है। इन्होंने ही कपूर खानदान में अभिनय की नींव डाली थी। पृथ्वीराज ने ही हिंदी सिनेमा को पहली बोलती फिल्म दी थी। इन्होंने अभिनय की शुरुआत पेशावर के एक थिएटर ग्रुप से की थी। बाद में इन्होने बॉम्बे (मुंबई) आकर थिएटर ज्वाइन कर लिया।