बेअंत सिंह हत्या मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी बलवंत की मौत की सजा को रखा बरकरार
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट की बेंच ने कहा कि सक्षम अधिकारी इस दया याचिका पर निर्णय ले सकते हैं।
दरअसल, राजोआना ने कोर्ट से अपनी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की अपील करते हुए एक दया याचिका दायर की थी।
मामला
क्या है मामला?
पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को 31 अगस्त, 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य मारे गए थे।
1995 में बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी राजोआना पिछले 26 सालों से जेल में बंद हैं।
राजोआना ने जुलाई, 2007 में एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
ट्विटर पोस्ट
सुप्रीम कोर्ट सक्षम अधिकारियों पर छोड़ा निर्णय
Supreme Court asks competent authorities to take a decision as and when they deem necessary, on the mercy petition of Balwant Singh Rajoana, who was awarded a death sentence for the assassination of the then Punjab CM Beant Singh in 1995. pic.twitter.com/izX6ZMULAx
— ANI (@ANI) May 3, 2023
सजा
2012 में राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी दया याचिका
राजोआना 1996 से जेल में बंद हैं। साल 2010 में हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट और फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मौत की सजा के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद 2012 में राजोआना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ये दया याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया था कि वह बहुत लंबे समय से फांसी की सजा का सामना कर रहे हैं और काफी साल जेल में गुजार चुके हैं, इसलिए उन्हें राहत दी जानी चाहिए।
सुनवाई
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिका पर सुरक्षित रखा था फैसला
बीती 2 मार्च को हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने राजोआना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस दौरान कोर्ट ने दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलें सुनी थीं।
वकील रोहतगी ने कहा था कि राजोआना की दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के समक्ष लंबित है।
सुनवाई
गृह मंत्रालय के फैसले का नहीं कर सकते हैं इंतजार- वकील
वकील रोहतगी ने कोर्ट ने कहा था कि याचिका पर गृह मंत्रालय के फैसले का इंतजार नहीं किया जा सकता है और कोर्ट को मामले में अब फैसला सुनाना चहिए।
उन्होंने कहा था कि जब तक याचिका पर फैसला नहीं होता है, तब तक राजोआना को पैरोल पर छोड़ा जा सकता है।
लिहाजा, आज कोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए राजोआना को राहत दिये जाने के निर्णय को सक्षम अधिकारियों के ऊपर छोड़ दिया है।