साल 2021 से 1,187 गुजरातियों ने छोड़ी नागरिकता, पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की संख्या भी दोगुनी
गुजरात के लोगों में विदेश के प्रति मोह बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2021 से अब तक रिकॉर्ड 1,187 गुजरातियों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। 2014 से 2022 के बीच गुजरात के 22,300 लोगों ने अपनी नागरिकता त्याग दी है। ये दिल्ली और पंजाब के बाद नागरिकता छोड़ने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसी तरह गुजरातियों ने रिकॉर्ड संख्या में अपने पासपोर्ट सरेंडर किए हैं।
इस साल अब तक 244 पासपोर्ट सरेंडर
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में गुजरात में 485 पासपोर्ट सरेंडर किए गए। ये आंकड़े 2022 में सरेंडर किए गए पासपोर्ट से दोगुना है। इस साल मई की शुरुआत तक ही 244 गुजराती पासपोर्ट सरेंडर कर चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि सरेंडर किए गए अधिकांश पासपोर्ट 30-45 साल के लोगों के थे, जो मुख्य रूप से अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (UK), कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में बसे गए हैं।
क्या कह रहे हैं अधिकारी?
अहमदाबाद में क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी अभिजीत शुक्ला ने अखबार को बताया कि महामारी के प्रतिबंधों के 2 साल बाद दूतावासों के फिर से खुलने और नागरिकता प्रक्रियाओं के फिर से शुरू करने से पासपोर्ट सरेंडर के मामलों में वृद्धि हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कई युवा पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं और वहीं बस जाते हैं, जिससे पासपोर्ट सरेंडर में वृद्धि हुई है।
क्या है पासपोर्ट सरेंडर करने की वजह?
वीजा सलाहकार ललित आडवाणी ने बताया कि कई व्यवसायी बेहतर बुनियादी ढांचे और जीवन की गुणवत्ता के लिए विदेश जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "भारत में उच्च जीवन स्तर वाले लोग भी हरियाली की कमी और खराब ड्राइविंग स्थितियों जैसे मुद्दों के कारण विदेश जाना चाहते हैं। अहमदाबाद सहित गुजरात के शहर पैदल यात्रियों के अनुकूल नहीं हैं। 2013-14 के बाद से विदेश जाने के इच्छुक लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है।"
विदेशी नागरिकता मिलने के बाद सरेंडर करना होता है पासपोर्ट
भारतीय नागरिकता त्यागने और विदेशी नागरिकता प्राप्त करने वालों को पासपोर्ट सरेंडर का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। पासपोर्ट अधिनियम 1967 के अनुसार, भारतीय पासपोर्ट धारकों को विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के बाद अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होता है। अगर 3 साल के भीतर ऐसा किया जाता है, तो कोई जुर्माना नहीं है। हालांकि, 3 साल के बाद 10,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।