कोरोना: हो सकता है भारत में फाइजर की वैक्सीन की जरूरत ही न पड़े- हर्ष वर्धन
केंंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा है कि हो सकता है कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को फाइजर की वैक्सीन की जरूरत ही न पड़े क्योंकि देश में टेस्ट की जा रही संभावित वैक्सीन्स अभी तक उम्मीद के मुताबिक नतीजे दे रही हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी फाइजर ने जर्मन फार्मा बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार की है, जो संक्रमण से बचाने में 95 प्रतिशत असरदार है।
पहले स्थानीय आबादी को वैक्सीन देंगी कंपनियां- हर्ष वर्धन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हर्ष वर्धन ने कहा कि फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन को अभी तक अमेरिका में भी नियामकीय मंजूरी नहीं मिली है। ऐसे में उसके भारत में इस्तेमाल के लिए विचार करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अगर मंजूरी मिल भी जाती है तो कंपनी दूसरे देशों को वैक्सीन की आपूर्ति करने से पहले स्थानीय आबादी के लिए खुराकें उपलब्ध कराने की कोशिश करेगी।
फाइजर की वैक्सीन की स्टोरेज में आएगी चुनौती
फाइजर की वैक्सीन को स्टोर और दूरदराज के इलाकों में पहुंचाने के लिए विकासशील देशों को कई चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा। दरअसल, वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए इसे -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर करने की जरूरत होगी। इसके इस्तेमाल के लिए डीप-फ्रीजर वेयरहाउस और रेफ्रिजरेटेड वाहनों की जरूरत होगी। भारत समेत कई देशों में कोल्ड स्टोरेज की ऐसी सुविधा नहीं है। ऐसे में कई देशों के लिए इन सुविधाओं का इंतजाम करना चुनौतीपूर्ण और महंगा साबित होगा।
AIIMS निदेशक फाइजर वैक्सीन को लेकर जता चुके ऐसी चिंता
फाइजर की वैक्सीन को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि फाइजर की वैक्सीन को लेकर उत्साहजनक खबर सामने आई है, लेकिन इसे माइनस 70 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाना जरूरी है। ऐसे में भारत जैसे विकासशील देशों में और खासतौर से ग्रामीण इलाकों में इस वैक्सीन को कैसे पहुंचाया जाएगा? इसके लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल काम होगा।
भारत में इन वैक्सीन्स के ट्रायल जारी
भारत में फिलहाल पांच संभावित वैक्सीन्स के ट्रायल चल रहे हैं। इनमें सबसे आगे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की संभावित वैक्सीन हैं, जिसके तीसरे चरण के ट्रायल के लिए एनरोलमेंट की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। वहीं भारत बायोटेक ने तीसरा चरण शुरू किया है। जाइडस कैडिला ने दूसरा चरण पूरा कर लिया है। इनके अलावा रूस की स्पूतनिक-V का 2-3 चरण का ट्रायल शुरू हुआ है और बायोलॉजिकल E 1-2 चरण के ट्रायल कर रही है।
चरणबद्ध तरीके से होगा वैक्सीन देने का काम- स्वास्थ्य मंत्री
सरकार इन संभावित वैक्सीन को विकसित करने वाली कंपनियों और उत्पादकों के संपर्क में हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सरकार चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन देने का अभियान शुरू करेगी। सरकार को अगले साल जुलाई तक वैक्सीन की 40-50 करोड़ खुराक मिलने की उम्मीद है, जो 20-25 करोड़ लोगों को संक्रमण से बचाने में पर्याप्त होंगी। भारत में किसी भी वैक्सीन को नियामकीय मंजूरी मिलने के साथ ही उसकी खरीद की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
भारत में महामारी की क्या स्थिति?
वैक्सीन के लंबे होते इंतजार के बीच देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। भारत में बीते दिन कोरोना के 37,975 नए मामले सामने आए और 480 मरीजों ने इसकी वजह से दम तोड़ा। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 91,77,840 हो गई है। इनमें से 1,34,218 लोगों की मौत हुई है, 4,38,667 सक्रिय मामले हैं और 86,04,955 लोग महामारी को हराकर ठीक हो चुके हैं।