देश के मदरसों में भी पढ़ाई जाएगी गीता और रामायण, NIOS ने पाठ्यक्रम में किया शामिल

एक तरफ जहां असम में मदरसों को बंद करने की योजना बनाई जा रही है, वही केंद्र सरकार कुछ मदरसों में पौराणिक और धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाने की योजना बना रही है। इसी के तहत देश के मदरसों में गीता, रामायण और योग की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) ने देश के 100 मदरसों में गीता और रामायण पढ़ाने के लिए आवश्यक सुविधा मुहैया कराने का फैसला निर्णय किया है।
TOI के अनुसार NIOS अध्यक्ष सरोज शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले NIOS ने कक्षा तीन, पांच और आठ के लिए एक बुनियादी पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय किया है। वर्तमान में इसे 100 मदरसों में शुरू किया जाएगा और भविष्य में इसमें 500 मदरसों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि NIOS ने अपनी इस नीति के तहत मदरसों के भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत 15 पाठ्यक्रमों को शुरू करने की योजना बनाई है।
शर्मा ने बताया कि भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित 15 पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। इनमें भारतीय वेद, योग, विज्ञान, व्यावसायिक कौशल, संस्कृत भाषा, रामायण महाकाव्य कथाएं, भगवत गीता उपदेश और पाणिनि-प्रचलित महेश्वरा सूत्र जैसे पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है।
केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने मंगलवार को नोएडा स्थित NIOS के केंद्रीय मुख्यालय में अध्ययन सामग्री को जारी किया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत प्राचीन भाषाओं, विज्ञान, कला, संस्कृति और परंपरा की खान है। अब देश अपनी प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करके ज्ञान के क्षेत्र में सुपरपावर बनने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार इन पाठ्यक्रमों के लाभ को मदरसों और विश्व में मौजूद भारतीय समाज तक पहुंचाएंगी।
बता दें कि NIOS दो राष्ट्रीय बोर्ड में एक से है। यह प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम की पढ़ाई ओपन और दूरस्थ शिक्षा जरिये कराता हैं। इसके योग पाठ्यक्रम में पतंजलि कृतासूत्र, योगसूत्र व्यायाम, सूर्य नमस्कार, आसन, प्राणायाम और स्मरण शक्ति बढ़ाने वाले व्यायाम शामिल हैं। इसी तरह व्यावसायिक कौशल पाठ्यक्रम में पानी देने वाले पौधे, गाय पालन, गायों की सफाई और स्वच्छता, उद्यान देखभाल, सिलाई और कटाई, जैविक खेती आदि शामिल हैं।
NIOS के सहायक निदेशक (अकादमिक) शोएब रजा खान ने कहा, "यह पाठ्यक्रम सबके लिए उपलब्ध होगा और अन्य सभी विषयों के साथ शामिल किया जाएगा। एक ओपन शिक्षा प्रणाली में छात्र अपनी इच्छा के अनुसार पाठ्यक्रम का चुनाव करने के लिए स्वतंत्र होंगे। ऐसे में यह अनिवार्य घटक नहीं है।" उन्होंने कहा कि देश की ओपन शिक्षा प्रणाली में विषयों की एक भरमार है। मदरसा छात्र भी इसका लाभ उठा सकते हैं। यह उनकी पसंद का मामला है।
बता दें कि असम सरकार ने राज्य में संचालित सरकारी मदरसों को नियमित स्कूलों में परिवर्तित करते हुए सभी मदरसों को बंद करने का निर्णय किया है। इसके लिए सरकार ने गत 28 दिसंबर में विधानसभा में विधेयक भी पेश कर दिया था।