दिल्ली में अगले 2 दिनों के अंदर दस्तक देगा मानसून, बारिश होने की संभावना- IMD
क्या है खबर?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने शनिवार को बताया कि मानसून अगले 2 दिनों के अंदर दिल्ली पहुंच जाएगा, जिसके बाद बारिश होने की उम्मीद है।
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल मानसून ने 30 जून को राष्ट्रीय राजधानी में दस्तक दी थी, जबकि 2021 और 2020 में मानसून क्रमशः 13 जुलाई, और 25 जून को दिल्ली पहुंचा था।
बता दें कि आमतौर पर स्थिति सामान्य रहने पर मानसून 27 जून तक दिल्ली पहुंच जाता है।
बयान
कमजोर शुरुआत के बाद तेजी से बढ़ा है मानसून
IMD के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि एक कमजोर शुरुआत के बाद मानसून तेजी के साथ आगे बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि मानसून पूरे कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों को कवर कर चुका है।
उन्होंने कहा कि देश के अन्य कई हिस्सों में मानूसन के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।
देरी
मानसून 8 दिनों की देरी से पहुंचा था केरल
बता दें कि कि मानसून 8 जून को 8 दिनों की देरी के साथ केरल पहुंचा था।
IMD ने मध्य मई में बताया था कि इस बार केरल में मानसून 4 जून तक पहुंच सकता है, जबकि सामान्य तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून राज्य में 1 जून को दस्तक देता है।
विभाग ने बताया था कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 12 जून के बाद मौसम बदलेगा और यहां 24 जून के बाद मानसून पहुंचने की उम्मीद है।
बारिश
इस साल 96 प्रतिशत बारिश होने की उम्मीद
IMD ने पिछले महीने कहा था कि भारत में अल नीनो की स्थिति के बावजूद दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के दौरान सामान्य बारिश की उम्मीद है।
अगर बारिश सामान्य रहती है तो देश में खाद्य अनाजों की पैदावार भी सामान्य रहेगी।
IMD के मुताबिक, लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) में 96 प्रतिशत से कम बारिश को सामान्य से कम कहते हैं। बारिश अगर 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत हो तो इसे सामान्य कहते हैं। इस साल 96 प्रतिशत बारिश होने की उम्मीद है।
अहमियत
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत में मानसून खेती के साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद अहम है।
देश में होने वाली कुल वर्षा का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा मानसून से ही आता है। देश में होने वाली कुल खेती में करीब 52 प्रतिशत किसान सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर रहते हैं।
इससे देश में होने वाले कुल खाद्य उत्पादन का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा पैदा होता है। यानी मानसून का सीधा असर महंगाई से लेकर सरकारी नीतियों पर भी पड़ता है।