तिरूपति मंदिर में लड्डू विवाद: कहां से आता है घी और अब तक किसने क्या कहा?
आंध्र प्रदेश में तिरूपति मंदिर के प्रसादम (लड्डू) को बनाने वाले घी में जानवर की चर्बी मिले होने की बात सामने आने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मामले में अब तक कई राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने अपना पक्ष रखा है। इसी तरह रिपोर्ट सामने आने के बाद मंदिर में लड्डू निर्माण के लिए घी की खरीद की भी जांच शुरू हो गई है। आइए जानते हैं मामले में अब तक किसने क्या कहा है।
क्या है लड्डू का महत्व?
तिरुपति लड्डू, जिसे 'श्रीवारी लड्डू' भी कहा जाता है। मान्यता है कि यह लड्डू भगवान वेंकटेश्वर का पसंदीदा नैवेद्यम (भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद) है। वर्ल्ड वाइड जर्नल्स द्वारा जारी 2015 के एक अध्ययन (जिसमें शोध भी शामिल है) के अनुसार, तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन चढ़ाए जाने वाले लड्डुओं में लगभग 907 किलो बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलोग्राम काजू, 150 किलोग्राम इलायची, 300-500 लीटर देसी घी, 500 किलो मिश्री और 540 किलो किशमिश शामिल होती है।
तिरुमाला में चढ़ाए जाने वाले लड्डूओं के प्रकार
तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लिए आमतौर पर 3 प्रकार के लड्डू तैयार किए जाते हैं, जिनमें अस्थानम, कल्याणोस्थवम और प्रोक्तम लड्डू शामिल हैं। 750 ग्राम वाले अस्थानम लड्डू विशेष उत्सव और विशेष अतिथियों (विभिन्न देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री) के लिए तैयार किए जाते हैं। इसी तरह कल्याणोत्सवम लड्डू हर शनिवार को होने वाले अर्जित सेवा गृहस्थ अनुष्ठान में भाग लेने वालों और अन्य सभी श्रद्धालुओं के इस्तेमाल के लिए 175 ग्राम वाले प्रोक्तम लड्डू तैयार किए जाते हैं।
कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
सबसे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने यह दावा करते हुए विवाद खड़ा किया था कि पिछली जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुपति मंदिर को भी नहीं छोड़ा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु वसा का इस्तेमाल किया। इसके बाद TDP प्रवक्ता अनम वेंकटरमण रेड्डी ने दावा किया कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा उपलब्ध कराए गए घी के नमूनों में मिलावट की पुष्टि गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला द्वारा की गई है।
नायडू के बेटे ने दी विवाद को हवा
राज्य के IT मंत्री और मुख्यमंत्री नायडू के बेटे नारा लोकेश ने मामले पर कहा कि प्रयोगशाला रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से पता चला है कि लड्डू बनाने में गोमांस की चर्बी, मछली का तेल और चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने साक्ष्य सहित इसका खुलासा किया है। भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर सबसे पवित्र मंदिर है और यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जगन रेड्डी प्रशासन ने इसके लड्डू में पशु वसा का इस्तेमाल किया है।
जेपी नड्डा ने मांगी रिपोर्ट
भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा, "मैंने आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री से बात कर विस्तृत जानकारी मांगी है। उनसे मामले की रिपोर्ट साझा करने को कहा है। हम राज्य नियामक से बात करने के साथ भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार कार्रवाई करेंगे।"
रिपोर्ट में क्या आया है सामने
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन, खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) ने लड्डू से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु की चर्बी पाई गई थी। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि घी में मछली का तेल, चर्बी और कुछ मात्रा में लार्ड भी मिला है, जो सूअर के फैटी टिश्यू से निकाली गई चर्बी होती है।
YSR कांग्रेस ने किया दावों का खंडन
4 साल तक TTD के अध्यक्ष रहे YSR कांग्रेस वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा, "यह कहना अकल्पनीय है कि भगवान को अर्पित किए जाने वाले पवित्र भोग और भक्तों को दिए जाने वाले लड्डू में पशु वसा का इस्तेमाल किया गया था। पशु वसा के इस्तेमाल का आरोप लगाने के अलावा कोई और जघन्य प्रयास नहीं है।" उन्होंने मुख्यमंत्री नायडू को भगवान के सामने शपथ लेकर अपने आरोपों सत्यता साबित करने की चुनौती दी है।
नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए लगाए आरोप
YSR कांग्रेस वरिष्ठ नेता और TTD के पूर्व अध्यक्ष बी करुणाकर रेड्डी ने आरोप लगाया कि तिरुपति के लड्डू में पशु वसा मिलाने का नायडू का दावा विपक्षी पार्टी और जगन मोहन रेड्डी को राजनीतिक रूप से निशाना बनाने के उद्देश्य से किया गया था।
राजनीतिक दलों ने की गहन जांच की मांग
आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति (APCC) की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने सत्तारूढ़ TDP और विपक्षी YSR कांग्रेस पर तिरुपति लड्डू को लेकर कथित रूप से 'घृणित' राजनीति करने का आरोप लगाया है। आंध्र प्रदेश की भाजपा इकाई ने कहा कि लड्डू मुद्दे पर नायडू की टिप्पणी से सभी हिंदुओं में वेदना पैदा हुई है। आरोपों की तुरंत जांच होनी चाहिए।
लड्डुओं के लिए कहां से आता है घी?
रिपोर्ट्स के अनुसार, TTD बोर्ड हर छह महीने में ई-टेंडर के जरिए घी खरीदता है। बोर्ड हर साल अनुमानित 5 लाख किलोग्राम घी खरीदता है, जो कि हर महीने लगभग 42,000 किलोग्राम होता है। विवाद बढ़ने पर नंदिनी ब्रांड दूध उत्पादक कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने स्पष्ट किया है कि वह अब TTD को घी की आपूर्ति नहीं करता है। मूल्य निर्धारण संबंधी मुद्दों के कारण 4 साल पहले ही TTD को घी की आपूर्ति बंद कर दी गई थी।
क्या निम्म गुणवत्ता वाला घी खरीद रहा था TTD?
अगस्त 2023 में KMF अध्यक्ष भीमा नाइक ने आरोप लगाया था कि TTD घटिया गुणवत्ता वाला घी खरीद रहा है। इस पर तत्कालीन TTD कार्यकारी अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने कहा था कि मंदिर निकाय केवल कठोर ई-टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से समझौता रहित गुणवत्ता और न्यूनतम लागत (L1 बोलीदाता) के दोहरे परीक्षण को पास करने वाली कंपनी से ही घी खरीदता है। KMF ने पिछले 20 वर्षों में केवल एक बार घी की आपूर्ति की थी।