भारतीय नौसेना में शामिल हुआ INS संध्याक, जानें कितना ताकतवर
क्या है खबर?
भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने INS संध्याक को आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल कर दिया है।
विशाखापत्तनम में आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री के अलावा नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और नौसेना के पूर्वी कमान के फ्लैग ऑफिसर कमाडिंग-इन-चीफ राजेश पेंढारकर भी मौजूद रहे।
बता दें कि INS संध्याक पहले भी नौसेना में रहा है, लेकिन अब इसे अपग्रेड किया गया है।
बयान
रक्षा मंत्री बोले- समुद्र में डकैती बर्दाश्त नहीं
रक्षा मंत्री ने कहा, "आज भारतीय नौसेना इतनी मजबूत हो गई है कि हम हिंद महासागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मामले में पहले स्थान पर पहुंच गए हैं। समुद्री डकैती और तस्करी में शामिल लोगों को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह नए भारत की प्रतिज्ञा है। हमने हाल ही में 80 मछुआरों को बचाया है, यह हमारी भारतीय नौसेना की मंशा और शक्ति है।"
नौसेना
क्या बोले नौसेना प्रमुख?
नौसेना प्रमुख कुमार ने कहा, "हम आरोही भारत की सेवा में सावधानीपूर्वक एक संतुलित 'आत्मनिर्भर बल' तैयार कर रहे हैं। पिछले दशक में नौसेना ने स्वदेशी रूप से अत्याधुनिक पोतों की विविध रेंज लॉन्च की है। चाहे वह शक्तिशाली विमानवाहक पोत विक्रांत हो, विशाखापत्तनम वर्ग के घातक विध्वंसक हों, बहुमुखी नीलगिरि वर्ग के युद्धपोत हों, कलवरी वर्ग की पनडुब्बियां हों, फुर्तीला उथला जलयान या विशेष भोजन सहायता जहाज हों। पिछले 10 सालों में 33 युद्धपोतों-पनडुब्बियों को शामिल किया गया है।"
संध्याक
क्या है INS संध्याक?
दरअसल, INS संध्याक 1981 से 2021 तक नौसेना का हिस्सा रहा है। 4 जून, 2021 को इसे और आधुनिक बनाने के लिए नौसेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया था।
अब इसे नई तकनीक और पुराने नाम के साथ दोबारा नौसेना का हिस्सा बनाया गया है। 4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस के मौके पर इसे नौसेना को सौंपा गया था।
ये भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे 4 सर्वे जहाजों की श्रेणी का पहला जहाज है।
खासियत
कितना खास है INS संध्याक?
इस जहाज का मुख्य काम समुद्र में निगरानी रखना और जहाजों के परिवहन को आसान बनाना है। ये बंदरगाहों, नौवहन चैनलों, तटीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करेगा।
इसकी रेंज 11,000 किलोमीटर है और 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। जहाज में बोफोर्स गन लगी है और इस पर चेतक हेलिकॉप्टर की तैनाती भी की जा सकती है।
इसमें 18 अधिकारी और 160 नौसेनिक तैनात हो सकते हैं।
इतिहास
क्या है INS संध्याक का इतिहास?
INS संध्याक का पिछला संस्करण 40 सालों तक नौसेना में रहा था। इस दौरान संध्याक ने भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी और पूर्वी तटों, अंडमान सागर, श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में 200 से अधिक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण किए थे।
जहाज ने कई महत्वपूर्ण अभियानों में भी अहम भूमिका निभाई थी। इनमें 1987 में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन और 2004 में सुनामी के बाद मानवीय सहायता के लिए ऑपरेशन रेनबो शामिल है।