करगिल युद्ध में पाकिस्तान से जिंदा लौटे पायलट ने सुनाई आपबीती, बोले- सहनी पड़ी थी यातनाएं
आज से 25 साल पहले करगिल युद्ध में तिरंगा फहराने वाली जाबांज सेना ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया था। शुक्रवार को विजय दिवस के अवसर पर उनकी सफलता एक बार फिर याद की जा रही है। करगिल युद्ध के दौरान वायुसेना के पायलट रहे लेफ्टिनेंट के नचिकेता राव अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने युद्ध के समय मिग-27 उड़ाया था। उन्होंने मीडिया से उस समय की आपबीती साझा की, जब वह पाकिस्तान में फंस गए थे।
कैसे फंसे थे पाकिस्तान में?
नचिकेता ने NDTV को बताया कि करगिल युद्ध के समय उनकी उम्र 26 साल थी। वह 27 मई को श्रीनगर से मिग-27 लेकर उड़े थे। उनको मुंथु ढालो नाम के दुश्मन के रसद केंद्र को निशाना बनाना था। उन्होंने कहा कि वह 15,000 फीट की ऊंचाई से दुश्मन के ठिकानों पर रॉकेट दाग रहे थे कि उनके विमान का इंजन फेल हो गया और विमान पहाड़ से टकराने वाला था। इसके बाद उन्होंने तुरंत पैराशूट लेकर विमान से छलांग लगाई।
पाकिस्तान के सैनिकों ने पकड़ा
पैराशूट से नचिकेता पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में गिरे थे, जहां उनको 5 से 6 सैनिकों ने घेर लिया। उस समय उनके पास छोटी पिस्तौल थी, जिससे उन्होंने गोलीबारी भी की थी, लेकिन आखिरकार पकड़े गए। वहां से उन्हें रावलपिंडी जेल लाया गया और यातानाएं दी गईं। गर्म जेल में खड़े रखा, खाना और पानी नहीं दिया और पीटा गया, लेकिन मैंने कुछ नहीं बताया। उन्होंने बताया कि उनकी प्रताड़ना से यही लग रहा था कि मौत आ जाए।
कैसे भारत पहुंचे नचिकेता?
नचिकेता ने बताया कि वह भाग्यशाली थे कि थर्ड डिग्री से पहले उनकी भारत में वापसी तय हो गई थी। उनको 8 दिन बाद अंतरराष्ट्रीय रेड क्रास सोसाइटी को सौंपा गया, क्योंकि किसी भी युद्ध बंदी को सीधे उसके देश नहीं भेज सकते। उन्हें कुछ मेडिकल जांच करनी होती है। इसके बाद उनको भारतीय दूतावास लाया गया, जहां उन्होंने माता-पिता से बात की। उनकी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी फोन पर बात हुई थी।
2017 में सेवानिवृत्त हुए थे नचिकेता
नचिकेता ने बताया कि सेना में रहने के बाद वह 2017 में सेवानिवृत्त हुए। हालांकि, पाकिस्तान से लौटने के बाद कई शारीरिक दिक्कतों की वजह से वह दोबारा लड़ाकू विमान नहीं उड़ा सके। उन्होंने बाद में सेवा के दौरान परिवहन विमान उड़ाया। वर्तमान में नचिकेता वाणिज्यिक विमान उड़ाते हैं। उन्होंने बताया कि सेवा में रहते हुए वह इस बारे में बात नहीं कर सकते, लेकिन द्रास में करगिल विजय दिवस के मौके पर वह अपनी आपबीती साझा कर रहे हैं।