सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए भारत ने पाकिस्तान को भेजा नोटिस, क्या है मामला?
भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए औपचारिक नोटिस भेजा है। भारत का कहना है कि परिस्थितियों में मूलभूत और अप्रत्याशित बदलाव हुए हैं, जिससे समय के साथ इस समझौते का पुनर्मूल्यांकन जरूरी हो गया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नोटिस 30 अगस्त को सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद 12 (3) के तहत भेजा गया है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।
भारत संधि में क्यों चाहता है बदलाव?
भारत का कहना है कि जब यह समझौता हुआ था, तब जैसी स्थिति थी, वैसी अब नहीं है। भारत में नोटिस में लिखा कि सिंधु नदी के पानी का उपयोग और जनसांख्यिकी में बदलाव हो रहा है, भारत स्वच्छ ऊर्जा की ओर अग्रसर है और अब संधि में बदलाव की जरूरत है। भारत ने लिखा कि जम्मू-कश्मीर में लगातार सीमा पार से आतंकवाद भी इस संधि के सुचारू संचालन में बाधा पहुंचा रहा है।
क्या बदलाव करना चाहता है भारत?
सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद 12 (3) के अनुसार, इसके प्रावधानों में समय-समय पर बदलाव किए जा सकते हैं, ताकि दोनों देशों के हितों की पूर्ति की जा सके। सूत्रों ने बताया कि भारत ने संधि के तहत विवाद समाधान तंत्र पर भी पुनर्विचार की भी मांग की है। समझौते में विश्व बैंक भी पक्षकार है, लेकिन प्रस्तावित वार्ता में उसकी कोई भूमिका नहीं होगी। पाकिस्तान ने अभी तक इस बारे में कुछ नहीं कहा है।
क्या है सिंधु जल संधि?
9 साल की चर्चा के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें सिंधु नदी में जुड़ने वाली सहायक नदियों के पानी के बंटवारे और इसके उचित इस्तेमाल को लेकर नियम बनाए गए थे। समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। विश्व बैंक द्वारा समझौते की मध्यस्थता की गई थी, जो इस पर हस्ताक्षरकर्ता भी है।
समझौते में क्या-क्या शामिल है?
समझौते के तहत, पूर्वी हिस्से की 3 नदियों- रावी, व्यास और सतलज पर भारत का अधिकार है। इसके बदले भारत पश्चिमी हिस्से के 3 नदियों- सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी को पाकिस्तान में बहने देगा। प्रावधानों के अनुसार, सिंधु नदी के कुल पानी के 20 प्रतिशत का उपयोग भारत कर सकता है, जबकि 80 प्रतिशत का पाकिस्तान। हालांकि, भारत पश्चिमी नदियों के पानी का भी इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन ऐसे कि पाकिस्तान को कोई नुकसान न हो।