
कोरोना वायरस: जांच के लिए भारत और दूसरे देशों में क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
क्या है खबर?
पिछले साल दिसंबर से चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस (COVID-19) दुनिया के 146 देशों में फैल चुका है।
अभी तक भारत में केवल विदेशों से आए लोगों या संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों की जांच की जा रही थी, लेकिन शुक्रवार से उन लोगों की भी जांच शुरू हो गई जो न विदेश से लौटे हैं और न ही संक्रमित लोगों के संपर्क में आए हैं।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
कोरोना वायरस
भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के मिले संकेत
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन के संकेत मिलने के बाद बाकी लोगों की जांच करना भी जरूरी हो गया है।
बीते सप्ताह स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का पहला मामला सामने आया था।
अलग-अलग देशों ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए कई तरीके अपनाएं हैं। अधिकतर देशों में लोगों को घर रहकर काम करने और बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।
जानकारी
कम्युनिटी ट्रांसमिशन क्या है?
आसान भाषा में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मतलब किसी वायरस का एक समुदाय में फैलना होता है। इसमें वायरस उन लोगों को भी प्रभावित कर सकता है जो न किसी संक्रमित जगहों पर गए हैं और न ही किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं।
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कम्युनिटी ट्रांसमिशन में तेजी से फैलता है वायरस
अगर एक बार कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो जाता है तो संदिग्ध मामलों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
दक्षिण कोरिया में एक महिला ने जांच कराने से मना कर दिया। बाद में पता चला कि उसके संपर्क में आए 160 लोग इस वायरस से संक्रमित हो गए।
जयपुर में इटली के पर्यटक के संपर्क में आने से उसके ग्रुप के 17 लोग संक्रमित पाए गए थे। वहीं आगरा के छह लोग भी संपर्क में आने से संक्रमित हुए थे।
जांच
प्राइवेट अस्पतालों में नहीं हो रही कोरोना वायरस की जांच
अभी तक भारत में केवल सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस की जांच हो रही है।
हालांकि, सरकार प्राइवेट अस्पतालों के साथ मिलकर मरीजों के इलाज और उनके आइसोलेशन के लिए मानक प्रक्रिया बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन जांच के लिए प्राइवेट अस्पतालों को अभी तक अनुमति नहीं मिली है।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्राइवेट सेक्टर को जांच की इजाजत नहीं दे रही हैं।
बयान
इस वजह से प्राइवेट अस्पतालों में नहीं हो रही जांच
नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के इस अधिकारी ने बताया कि अगर प्राइवेट अस्पतालों में जांच शुरू कर दी जाती है तो संदिग्ध मरीज इतनी जगहों पर जाएंगे कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए किए गए इंतजाम कम पड़ सकते हैं। अगर तय जगहों पर ऐसे मरीज जाएंगे तो पूरी प्रक्रिया तय है। यहां मेडिकल स्टाफ और लैब स्टाफ निर्धारित हैं। बाकी लोग संदिग्ध मरीजों के संपर्क में नहीं आएंगे और इसे फैलने से रोका जा सकता है।
जानकारी
लगभग 5,000 रुपये है टेस्ट की फीस
फिलहाल सरकार संदिग्ध मरीजों के टेस्ट के लिए कोई फीस नहीं वसूल रही है। इनकी फीस लगभग 5,000 रुपये है। भारत में संदिग्ध मरीज को आइसोलेशन में रखा जाता है और उसके टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार किया जाता है।
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चीन, इटली और दक्षिण कोरिया में हुआ कम्युनिटी ट्रांसमिशन
चीन, इटली और दक्षिण कोरिया में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है। यहां क्रमश; 80,000 से ज्यादा, 21, 000 से ज्यादा और 8,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
चीन में पिछले कुछ दिनों से नए मामलों की संख्या घटी है। इटली ने इन मामलों को देखते हुए पूरे देश को बंद कर दिया है।
वहीं दक्षिण कोरिया ने लोगों की फ्री जांच करना शुरू किया है। यहां बड़े स्तर पर लोगों की जांच की रही है।
तरीका
दक्षिण कोरिया ने उठाए ये कदम
दक्षिण कोरिया में सेलफोन और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी की मदद से लोगों को ट्रैक किया जा रहा है। यहां पर लोगों की जांच कर जरूरत पड़ने पर उन्हें अलग रखा जा रहा है।
इसके चलते समय रहते संक्रमित लोगों की पहचान हो रही है और उन्हें बाकियों से अलग किया जा रहा है।
इसका फायदा भी देखने को मिला है। 29 फरवरी को यहां 909 मामले सामने आए थे, जो 15 मार्च को घटकर 100 से कम हो गए।
जानकारी
भारत में क्या किया जा रहा है?
भारत में बड़े स्तर पर जांच के लिए काफी संसाधनों की जरूरत होगी। फिलहाल भारत के पास एक लाख टेस्ट करने की क्षमता है और अब तक लगभग 6,000 टेस्ट किए गए हैं। साथ ही दो लाख टेस्ट किट खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।
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भारत कोरोना को रोकने के लिए और क्या कर रहा है?
भारत में फिलहाल सामाजिक मेलजोल कम करने और संक्रमण को एक इलाके तक सीमित करने पर जोर दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार योजना में बीमारी की जल्द पहचान कर उसे उसी इलाके तक सीमित कर देना है।
इसके लिए संदिग्ध लोगों की जांच, संदिग्ध लोगों को एकांत में रखना, उसके संपर्क में आए लोगों को अलग रखना और सामाजिक मेलजोल को कम करने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।