वायुसेना को जल्द ही मिलेंगे 83 तेजस लड़ाकू विमान, HAL से सौदा अंतिम चरण में
क्या है खबर?
जल्द ही भारतीय वायुसेना के बेड़े में 83 तेजस लड़ाकू विमान शामिल होंगे। इसे लेकर वायुसेना और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच सौदे को अंतिम रूप दिया जा चुका है और अब इसे केवल कैबिनेट की मंजूरी मिलना बाकी रह गया है।
वायुसेना 39,000 करोड़ रुपये में HAL से ये 83 तेजस विमान खरीदेगी। अगले तीन साल में HAL उसे विमान देना शुरू कर देगा।
सैन्य विमानों के संबंध में ये अब तक का सबसे बड़ा स्वदेशी सौदा है।
सौदा
पहले 56,500 करोड़ रुपये रखी गई थी सौदे की कीमत
शुरूआत में HAL ने इस सौदे की कीमत 56,500 करोड़ रुपये रखी थी, जिससे वायुसेना और रक्षा मंत्रालय हैरान रह गए थे। इस रकम में विमानों के रखरखाव का खर्च भी शामिल था।
लेकिन एक साल की गहन बातचीत के बाद आखिरकार 17,000 करोड़ रुपये की कटौती हुई और 39,000 करोड़ रुपये में सौदा तय हुआ।
HAL वायुसेना के लिए जो विमान बनाएगी वे सभी एक इंजन वाले तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमान होंगे।
प्रक्रिया
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी मिलना बाकी
सौदे से संबंधित एक सूत्र ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को जानकारी देते हुए बताया, "सौदे की कीमत 39,000 करोड़ रुपये तय होने के बाद फाइल को अंतिम मंजूरी के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के पास भेजा जा रहा है। इसे 31 मार्च को मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने से पहले मंजूरी मिल जानी चाहिए।"
उन्होंने बताया कि सौदे को मंजूरी मिलने के बाद HAL तीन साल के अंदर मार्क-1A विमानों की डिलीवरी शुरू कर देगा।
पृष्ठभूमि
नवंबर 2016 में मिल गई थी सौदा करने की मंजूरी
बता दें कि रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने नवंबर 2016 में ही 83 तेजस लड़ाकू विमान तैयार करने के लिए HAL के साथ 49,797 करोड़ का सौदा करने की मंजूरी दे दी थी।
लेकिन इसके बाद HAL से सौदे की कीमत बढ़ाकर 56,500 करोड़ रुपये कर दी।
HAL के कीमत बढ़ाने के बाद दोनों पक्षों में लंबी बातचीत हुई और वायुसेना ने अपनी कुछ मांगों में कटौती की।
अंत में सौदे को मौजूदा कीमत पर तय किया गया।
लड़ाकू विमानों की जरूरत
पाकिस्तान-चीन के मोर्चे पर सुरक्षा के लिए 42 स्क्वाड्रन की जरूरत, अभी केवल 30
बता दें कि पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों पर सुरक्षा के लिए भारत को लड़ाकू विमानों के कम से कम 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन अभी उसके पास केवल 30 स्क्वाड्रन हैं। हर स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं।
वायुसेना इस कमी को पूरा करने के लिए स्वदेशी और हल्के लड़ाकू विमान तेजस पर निर्भर है।
हालांकि HAL द्वारा उनका धीमा निर्माण वायुसेना के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
मौजूदा बेड़ा
अभी वायुसेना के पास 16 तेजस मार्क-1 लड़ाकू विमान
बता दें कि वायुसेना के पास अभी केवल 16 तेजस मार्क-1 लड़ाकू विमान हैं। उसे ये विमान दो सौदों के तहत प्राप्त हुए हैं। 8,802 करोड़ रुपये के इन सौदों में दिसंबर, 2016 तक 40 तेजस विमानों की आपूर्ति की जानी थी, लेकिन अब तक केवल 16 विमान वायुसेना के पास पहुंच पाए हैं।
नए सौदे के तहत खरीदे जाने वाले मार्क-1A विमान कुछ पैमानों पर इन मार्क-1 विमानों से बेहतर हैं।
डाटा
मार्क-1A का परीक्षण 2022 तक पूरा होने की संभावना
सूत्रों के अनुसार, तेजस मार्क-1A का उड़ान परीक्षण 2022 तक पूरा होने की संभावना है जिसके बाद वायुसेना को इनकी आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा वायुसेना 170 तेजस मार्क-2 विमान खरीदने पर भी विचार कर रही है। हालांकि मार्क-2 तैयार होने में अभी समय है।
खासियत
क्या हैं तेजस विमान की खासियतें?
तेजस मार्क-1 लड़ाकू विमान एक चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। यह सिंगल इंजन, डेल्टा विंग, मल्टी-रोल फाइटर है।
इसमें फ्लाई-बाई-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल इंस्ट्रूमेंट और पल्स-डोपलर मल्टी-मोड रडार लगी है, जो हवा से हवा और हवा से जमीन तक प्रभावी तरीके से काम कर सकती है।
तेजस की सबसे खास बात यह है कि इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है।
ये एक और दो सीटों के दो अलग-अलग प्रारूपों में बनाया जाता है।