निर्भया केस: दोषियों के परिजनों की राष्ट्रपति को भावनात्मक चिट्ठी, लगाई इच्छा मृत्यु देने की गुहार
'कोटि विप्र वध लागहि जाहू, आवे शरण तजहू नहीं ताहू' आपने रामायण की ये पंक्तियां तो पढ़ी या सुनी होगी। इसका भावार्थ यह है कि जिस पर करोड़ों ब्राह्मणों की हत्या का पाप लगा हो, शरण में आने पर भगवान उसे भी नहीं त्यागते हैं, अर्थात उसे माफ कर देते हैं। इन्हीं पंक्तियों के जरिए रविवार को निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों के परिजनों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भेजकर उनसे इच्छा मृत्यु देने की मांग की है।
चारों दोषियों के परिवार के 13 सदस्यों ने मांगी इच्छा मृत्यु
निर्भया के दोषियों को 20 मार्च सुबह 05:30 बजे फांसी के फंदे पर लटकाया जाना है। ऐसे में उनके परिजनों ने अब राष्ट्रपति को भावनात्मक चिट्टी लिखकर फांसी टालने का प्रयास किया है। इसके लिए चारों दोषियों के परिवार के 13 सदस्यों ने भावनात्मक चिट्ठी के जरिए सभी को इच्छा मृत्यु देने की मांग की है। चिट्ठी लिखने वालों में मुकेश के परिवार के दो, पवन और विनय के चार-चार और अक्षय के परिवार के तीन सदस्य शामिल हैं।
परिजनों ने यह बताया इच्छा मृत्यु का आधार
दोषियों के परिजनों ने चिट्ठी में लिखा कि उनके बच्चों को फांसी दिए जाने के बाद उनके जीने का सहारा खत्म हो जाएगा। यदि यहां माफी नहीं मिल सकती तो वह सभी को इच्छा मृत्यु देकर इतिहास और भविष्य से पाप, पापी और उनके परिवार को समूल नष्ट कर भविष्य में ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति को रोक सकते हैं। इसके बाद फिर दूसरी निर्भया नहीं होगी और एक के बदले पांच को फांसी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
नहीं है इच्छा मृत्यु देने का प्रावधान
बता दें कि कानून के लिहाज से देखा जाए तो इस चिट्टी का कोई मतलब नहीं निकलता है। परिजनों ने अपने विवेक के आधार पर यह चिट्ठी लिखी है। कानून में अभी तक इसी प्रकार की इच्छा मृत्यु देने का कोई प्रावधान नहीं है।
दोषी विनय ने दया याचिका खारिज करने के खिलाफ दाखिल कर रखी है याचिका
दोषी विनय ने कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज की गई उसकी दया याचिका की प्रक्रिया में खामियां और कानूनी कमियां हैं। विनय ने अपनी याचिका में यह भी दलील दी है कि जब दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन ने उसकी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की तो उस समय चुनाव आचार सहिंता लागू थी। ऐसे में वह उसकी दया याचिका पर सुझाव कैसे दे सकते थे।
तीन बार टल चुकी है फांसी
निर्भया के चारों दोषी तीन बार फांसी से बच चुके हैं। पटियाला हाउस कोर्ट ने सबसे पहले 7 जनवरी को डेथ वारंट जारी कर 22 जनवरी को फांसी का दिन मुकर्रर किया था, लेकिन कानूनी अड़चनों से फांसी टल गई। उसके बाद कोर्ट ने 1 फरवरी और उसके बाद 3 मार्च को फांसी का दिन मुकर्रर किया, लेकिन दोषी फिर से फांसी से बच गए। इस बार कोर्ट ने फांसी के लिए 20 मार्च का दिन तय किया है।
कानूनी विकल्पों के लिए कोर्ट ने दिया था सात दिन का समय
आपको बता दें कि दोषियों की ओर से एक-एक कर कानूनी विकल्पों का उपयोग करते हुए फांसी टाले जाने को लेकर कोर्ट ने गत 5 फरवरी को चारों दोषियों को बचे हुए कानूनी विकल्पों का उपयोग करने के लिए सात दिन का समय दिया था।
चारों दोषियों के पास अब नहीं बचा है कोई भी कानूनी विकल्प
कानूनी लिहाज से अब चारों दोषियों की फांसी का रास्ता साफ हो चुका है। गत दिनों राष्ट्रपति की ओर से दोषी पवन की दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब उनके पास कोई भी कानूनी विकल्प नहीं बचा है। इससे पहले तीन अन्य दोषी मुकेश, अक्षय और विनय अपनी-अपनी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का इस्तेमाल कर चुके थे। ऐसे में अब 20 मार्च को उन्हें फांसी दी जानी है।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्या मामला?
16 दिसंबर, 2012 की रात अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही 23 वर्षीय निर्भया के साथ छह लोगों ने दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया था। इलाज के दौरान निर्भया ने दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए थे। मामले में कुल छह आरोपी थे। इनमें से एक नाबालिग था और एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी। बाकी बचे चारों दोषियों को 2013 में फांसी की सजा सुनाई गई थी।