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नितिन गडकरी ने बताई अपने विभाग की सबसे बड़ी नाकामी

नितिन गडकरी ने बताई अपने विभाग की सबसे बड़ी नाकामी

Mar 06, 2020
04:37 pm

क्या है खबर?

केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने माना है कि उनका मंत्रालय सड़क हादसों और इनमें होने वाली मौतों में कमी करने में असफल रहा है। उन्होंने इसे अपने मंत्रालय की सबसे बड़ी नाकामियों में से एक माना है। मिंट आईडिया समिट में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि हादसों और इनमें होने वाली मौतों की संख्या में मामूली गिरावट आई है, लेकिन स्थिति भी भयंकर बनी हुई है। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।

भारत में सड़क हादसे

भयावह है सड़क हादसों की संख्या

भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। इसके बाद चीन और अमेरिका का नंबर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सड़क हादसों में जितनी मौतें होती हैं, उनमें से 11 प्रतिशत भारत में होती हैं। 2018 में भारत में लगभग 4.67 लाख सड़क हादसे हुए थे, यानी हर घंटे 53 एक्सीडेंट। इनमें 1.51 लाख लोगों की मौत हुई थी और लगभग पांच लाख लोग घायल हुए थे।

बयान

गडकरी ने कही यह बात

गडकरी ने कहा, "अभी हालात बहुत खराब हैं। हर साल यहां पांच लाख हादसे हो रहे हैं और 1.5 लाख लोग जान गंवा रहे हैं। पिछले तीन महीनों में पहली बार हादसों और मौतों की संख्या कम हुई है। मेरे विभाग में सब ठीक है, लेकिन एक बड़ी नाकामी यह है कि हम हादसों और इनमें जान गंवाने वाले लोगों की संख्या कम नहीं कर पाए हैं। हादसों की वजह से हमारी GDP को 2 प्रतिशत नुकसान हो रहा है।"

उपाय

हादसों में कमी के लिए नेशनल हाइवे बढ़ाने होंगे- गडकरी

गडकरी ने जोर देते हुए कहा कि इन हादसों पर रोक लगाने के लिए नेशनल हाइवे की संख्या बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा, "हमारे देश में कुल 52 लाख किलोमीटर की सड़कें बनी हैं। इनमें से केवल 96,000 किलोमीटर नेशनल हाइवे है। हमारे देश में 40 प्रतिशत ट्रैफिक 2 प्रतिशत सड़कों पर है। हमने नेशनल हाइवे की संख्या दो लाख किलोमीटर करने का फैसला किया है। मुझे लगता है कि अगले पांच सालों में 80 प्रतिशत ट्रैफिक हाइवे पर होगा।"

सड़क हादसे

सड़क हादसों से जुड़े कुछ डराने वाले आंकड़े

नेशनल हाइवे देश के कुल सड़क नेटवर्क का 1.94 प्रतिशत हिस्सा है। 2018 में इन पर देशभर में हुए कुल हादसों के 30.2 प्रतिशत और हादसों में हुई मौतों का 35.7 प्रतिशत मौतें हुईं। हर साल एक किलोमीटर हाइवे पर औसतन दो मौतें होती हैं। विकसित देशों के मुकाबले यह संख्या 10 गुना अधिक है। वहीं स्टेट हाइवे कुल नेटवर्क का 2.97 फीसदी हिस्सा है। इन पर 25.2 प्रतिशत हादसे और 26.8 प्रतिशत मौतें होती हैं।