डिजिटल मीडिया पर नियमन की तैयारी, संसद में बिल पेश कर सकती है सरकार
केंद्र सरकार जल्द ही एक कानून ला सकती है, जिसके तहत देश में डिजिटल मीडिया का नियमन किया जा सकेगा। इसके तहत नियमों के उल्लंघन पर उनके खिलाफ रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियोडिकल्स कानून के तहत कार्रवाई भी की जा सकेगी। दरअसल, देश में पहली बार मीडिया के पंजीकरण में डिजिटल मीडिया को भी शामिल करने पर विचार हो रहा है। अभी तक डिजिटल मीडिया पर किसी तरह का सरकारी नियमन नहीं है।
2019 में हुई थी बिल लाने की शुरुआत
केंद्र सरकार ने 2019 में रजिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस एंड पीरियोडिकल्स बिल का मसौदा तैयार किया था। इसमें डिजिटल मीडिया पर समाचार को उस समाचार के तौर पर परिभाषित किया गया था, जो इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल नेटवर्क के जरिये पहुंचाई जा सके और जिसमें, टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स हों। उस वक्त इस पर काफी हंगामा हुआ था और इसे सरकार की डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण की चाह की कोशिश बताया गया था।
जल्द कैबिनेट के सामने पेश होगा बिल
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, नया कानून प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट, 1867 की जगह लेगा। इसी कानून के तहत देश में समाचार पत्रों और प्रिंटिंग प्रेस का नियमन किया जाता है। जल्द ही इस बिल को कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। इसमें किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिये डिजिटल मीडिया पर आने वाली खबरों को शामिल किया जाएगा और इसके तहत डिजिटल प्रकाशकों को खुद को प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के पास रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
कानून लागू होने पर क्या होगा?
नया कानून लागू होने के 90 दिनों के भीतर डिजिटल समाचार प्रकाशकों को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होगा। इसके अलावा प्रकाशकों को प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के पास भी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इस कार्रवाई में रजिस्ट्रेशन को रद्द करने और जुर्माना लगाना आदि शामिल हो सकता है। बताया जा रहा है कि सरकार भारतीय प्रेस काउंसिल के साथ एक अपीलीय बोर्ड बनाने पर विचार कर रही है।
अभी तक सरकारी नियमन से बाहर है डिजिटल मीडिया
देश में प्रिंट और टीवी मीडिया पर सरकारी नियमन लागू है, लेकिन डिजिटल मीडिया पर नियमन का फिलहाल कोई तंत्र नहीं है। नया कानून लागू होने के बाद डिजिटल मीडिया की आजादी सरकार के नियंत्रण में चली जाएगी।
भारत में दयनीय है प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति
डिजिटल मीडिया पर नियमन की कोशिश ऐसे वक्त हो रही है, जब देश में मीडिया की आजादी पर लगातार हमले हो रहे हैं। मई में सामने आए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार, भारत को विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022 में 180 देशों में से आठ स्थानों की गिरावट के साथ 150वां स्थान मिला है। पिछले साल भारत को 142वां स्थान मिला था और उसे पत्रकारिता के लिए सबसे बुरे देशों में शामिल किया गया था।
2016 के बाद लगातार कम हो रही है भारत की रैंकिंग
साल 2016 में भारत प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में 133वें पायदान पर था, लेकिन उसके बाद से लगातार पिछड़ता जा रहा है। 2017 में भारत फिसलकर 136वें, साल 2018 में 138वें, साल 2019 में 140वें, साल 2020 और 2021 में 142वें पायदान पर था।