
गोवा के शिरगांव में जात्रा के दौरान मची भगदड़, 6 की मौत और करीब 40 घायल
क्या है खबर?
गोवा के शिरगांव में श्री लैराई जात्रा (धार्मिक यात्रा) के दौरान भगदड़ मच गई है, जिसकी चपेट में आकर 6 लोगों की मौत हो गई है और करीब 40 लोग घायल हुए हैं। घायलों में कुछ लोगों की हालत गंभीर है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
घायलों को गोवा मेडिकल कॉलेज और उत्तरी गोवा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात की है।
प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने जताया दुख
घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, 'गोवा के शिरगांव में भगदड़ के कारण हुई मौतों से दुखी हूं। अपने प्रियजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन प्रभावित लोगों की सहायता कर रहा है।'
मुख्यमंत्री सावंत ने कहा, "यह बहुत दुखद घटना है। हम घायलों के इलाज के लिए हर संभव मदद कर रहे हैं।"
मुख्यमंत्री ने हादसे की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की है।
वजह
कैसे मची भगदड़?
दरअसल, 2 मई की शाम बड़ी संख्या में श्रद्धालु जात्रा में शामिल होने के लिए इकट्ठा हुए थे। इसी दौरान उबड़-खाबड़ जगह पर कुछ लोग गिर पड़े। इससे भीड़ में अफरा-तफरी की स्थिति बन गई और भगदड़ मच गई।
शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, भीड़ को संभालने के लिए जरूरी इंतजाम भी नहीं थे।
यात्रा के लिए करीब 1,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था और प्रशासन ड्रोन से भीड़ पर नजर रख रहा था, इसके बावजूद भगदड़ मच गई।
बयान
घटना के बारे में चश्मदीदों ने क्या बताया?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भगदड़ के दौरान लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और कई लोग कुचल गए।
हादसे में 7 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जिनमें एक 17 वर्षीय लड़का भी शामिल है। वहीं, कई महिलाएं और बच्चे घायल हुए हैं।
गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने बताया कि 24x7 हेल्पलाइन शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि गोवा मेडिकल कॉलेज और अन्य जिला अस्पताल अलर्ट पर हैं और 10 एम्बुलेंस तैनात की गई हैं।
जात्रा
क्या होता है लैराई जात्रा?
श्री लैराई जात्रा गोवा का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। इस दौरान उत्तरी गोवा के बिचोलिम तालुका के शिरगांव गांव में हर साल एक धार्मिक यात्रा का आयोजन किया जाता है, जो देवी लैराई को समर्पित है। लैराई देवी एक पूजनीय हिंदू देवी है, जिनके गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में काफी सारे अनुयायी हैं।
ये यात्रा हर साल अप्रैल या मई में होती है। इस दौरान श्रद्धालु नंगे पैर अग्नि पर भी चलते हैं।