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'रहस्‍यमय बीमारी' की जांच के लिए दिल्ली से आंध्र प्रदेश पहुंचे विशेषज्ञ

'रहस्‍यमय बीमारी' की जांच के लिए दिल्ली से आंध्र प्रदेश पहुंचे विशेषज्ञ

Dec 08, 2020
07:41 pm

क्या है खबर?

कोरोना महामारी के बीच आंध्र प्रदेश के एलरू कस्बे में 'रहस्‍यमय बीमारी' की चपेट में आए सैकड़ों लोगों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। वर्तमान में सैकड़ों लोगों का इलाज हो रहा है और अन्य लोगों में डर का माहौल बना हुआ है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने बीमारी की जांच के लिए दिल्ली से विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को एलरू भेजा है। टीम ने कस्बे में पहुंचकर बीमारी के कारणों की जांच शुरू कर दी।

प्रकरण

शनिवार को सामने आए थे 'रहस्‍यमय बीमारी' के मामले

एलरू कस्बे में सबसे पहले शनिवार को इस 'रहस्‍यमय बीमारी' के मरीज सामने आए थे। उस दौरान करीब 200 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया था। इस बीमारी में मरीजों को मिर्गी के दौरे, अचानक से बेहोश होना, कंपकपी, मुंह से झाग आना और शरीर में तेज दर्द की शिकायत हो रही है। कस्बे में अब तक 500 लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं और एक 45 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो चुकी है।

बयान

बीमारी के कारणों का नहीं चल सकता है पता- डॉ राम

चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार करीब 500 लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। इनमें से अधिकतर अब ठीक हो चुके हैं। हालांकि, एक शख्स की मौत के कारण इसे 'रहस्‍यमय बीमारी' कहा जा रहा है। एलुरु के वरिष्‍ठ चिकित्सक डॉ एएस राम ने कहा, "कुछ लोग कह रहे हैं कि बीमारी लोगों में डर के कारण बढ़ रही है, लेकिन ऐसा नहीं है। ज्‍यादातर मरीजों में लक्षण दिखे हैं, लेकिन वह पता नहीं लगा पा रहे कि कारण क्‍या है।"

कारण

ग्रामीण गंदगी और सुअरों मौजूदगी को मान रहे कारण

कस्बे के कुछ अन्‍य चिकित्सा अधिकारी कीटनाशकों में मौजूद कैमिकल को इस बीमारी के लिए जिम्‍मेदार मान रहे हैं, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में लगे कचरे के ढेर और जंगली सूअरों के कारण यह स्थिति बनी है। अधिकारियों ने बताया कि बीमारी की चपेट में आए लोगों को 3-5 मिनट के लिए मिर्गी के दौरे, भूलने की बीमारी, चिंता, उल्टी, सिरदर्द और पीठ दर्द की शिकायत है। इससे लोगों में डर की स्थिति बढ़ती जा रही है।

जांच

दिल्ली से पहुंची विशेषज्ञों की टीम जांच में जुटी

इधर, केंद्र सरकार की ओर से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के वायरोलॉजिस्ट डॉ अविनाश देसोतवार, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के उप निदेशक डॉ संकेत कुलकर्णी और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जमशेद नायर को जांच के लिए एलरू भेजा है। टीम ने कस्बे में स्थानीय चिकित्सकों से जानकारी लेकर बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए खाद्य तेल, चावल, रक्त और मूत्र के नमूने एकत्र किए हैं।

खुलासा

सैंपल रिपोर्ट आने पर ही होगा खुलासा

स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम की लैब में भेजे गए मरीजों के सेरेब्रल-स्पाइनल फ्लूएड सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही इस रहस्यमय बीमारी के प्रमुख कारणों का खुलासा हो पाएगा। डॉ सुहासिनी ने बताया, 'हम एलुरु में बीमार पड़ने वाले मरीजों की हेल्थ कंडीशन की लगातार निगरानी कर रहे हैं। विजयवाड़ा में भर्ती दो बच्चों की सेहत में सुधार है। मैंने अपने 25 साल के करियर में ऐसी बीमारी नहीं देखी।'

जानकारी

डॉक्टरों ने किसी पहचान वाले वायरस की संभावना को किया खारिज

इस बीच डॉक्टरों ने मरीजों में जापानी एन्सेफलाइटिस, डेंगू, हेपेटाइटिस और रेबीज जैसे वायरस होने की संभावना को खारिज कर दिया है। राज्य स्वास्थ्य आयुक्त के भास्कर राव के अनुसार यह बीमारी व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलती है, लेकिन जांच जारी है।

हालात

अचानक बेहोश होकर गिर रहे हैं लोग

एक मरीज ने बताया वह सुबह काम कर रहा था, लेकिन अचानक वह बेहोश होकर गिर गया। इससे उसके कई जगह चोट आई, हालांकि करीब दो घंटे बाद वह फिर से ठीक हो गया। इसी तरह पुलिस कांस्टेबल किरण कुमार ने बताया कि वह सोमवार को ड्यूटी पर तैनात थी, लेकिन अचानक ही वह बेहोश होकर गिर पड़ी। करीब दो घंटे के बाद होश आने पर अब उसकी हालत ठीक है। अचानक गिरने से उकने कंधे में चोट लगी है।