दोस्ती का मतलब लड़की के साथ यौन संबंध बनाने की सहमति नहीं- बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 24 जून को एक अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अगर कोई महिला और पुरूष अच्छे दोस्त हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि महिला पुरुष को शारीरिक संबंध बनाने की सहमति प्रदान कर रही है। कथित तौर पर शादी का झांसा देकर बलात्कार करने के आरोपी ने यह जमानत याचिका डाली थी। आइए जानते है क्या है पूरा मामला और कोर्ट ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी है।
कोर्ट ने क्या कहा?
शादी का वादा करके बलात्कार करने से संबंधित इस मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, "सिर्फ किसी महिला के साथ दोस्ताना संबंध होने पर कोई पुरूष अगर यह समझता है कि वह महिला के साथ शारीरिक संबंध बना सकता है तो कानून इसकी अनुमति नहीं देता है।" जस्टिस भारती डांगरे की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
महिला ने क्या आरोप लगाए हैं?
पीड़ित महिला की शिकायत के अनुसार, वह आरोपी को पहले से जानती थी और दोनों 2019 में एक बार एक कॉमन फ्रैंड के यहां गए थे। आरोप है कि यहां आरोपी ने महिला को उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने पर मजबूर किया। महिला के अनुसार, उसने उस वक्त इस कृत्य का विरोध भी किया था, लेकिन आरोपी ने उससे कहा कि वह उसे बहुत पसंद करता है और वादा किया था कि वह जल्द ही उससे शादी करेगा।
गर्भवती होने पर आरोपी ने उठाए पीड़िता के चरित्र पर सवाल
महिला ने आगे बताया कि उसके गर्भवती होने के बाद आरोपी ने उससे शादी करने या फिर गर्भावस्था की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया और वह उसके चरित्र को लेकर सवाल उठाने लगा। आरोपी ने पीड़िता पर अन्य लोगों के साथ शारीरिक संबंध में होने का भी आरोप लगाया। पीड़िता के मुताबिक, आरोपी ने यह सब इल्जाम लगाने के बाद भी एक बार उसके साथ जबरन संबंध बनाए।
2019 से 2022 के बीच हुई घटनाएं
यह घटनाएं 17 मई, 2019 और 27 अप्रैल, 2022 के बीच हुई थीं। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर मामले में बलात्कार का केस दर्ज किया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। अब उसने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका डाली थी।
किसी के साथ दोस्ती संबंध बनाने का लाइसेंस नहीं- कोर्ट
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी महिला के साथ दोस्ती पुरुष को संभोग करने का लाइसेंस नहीं देती, वो भी तब जब उसने विशेष रुप से इससे इनकार किया हो। उसने कहा, "हर महिला रिश्ते में सम्मान की उम्मीद रखती है, चाहे वह आपसी स्नेह हो या दोस्ती। यहां पर याचिकाकर्ता पर शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाने और फिर गर्भावस्था में उसके चरित्र पर सवाल उठा कर उसे छोड़ देने का आरोप है।"
जांच होने तक अग्रिम जमानत याचिका खारिज
शिकायत का जिक्र करते हुए बेंच ने कहा, "आरोपी ने लड़की के मन में पसंद विकसित की और फिर उसके साथ यौन संबंध बनाया। महिला ने इसकी अनुमति दी क्योंकि आवेदक ने महिला से शादी का वादा किया था। याचिकाकर्ता पर जो आरोप शिकायतकर्ता ने लगाए हैं, उनमें पूरी तरह जांच की आवश्यकता है कि क्या आरोपी ने महिला को संबंध बनाने के लिए मजबूर किया था। तब तक के लिए जमानत की याचिका को खारिज किया जाता है।"