बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा- महिलाओं का छोटी स्कर्ट पहनना और उत्तेजक नाच अश्लील कृत्य नहीं
क्या है खबर?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने रविवार को नागपुर के तिरखुरा में एक रिसॉर्ट के बैंक्वेट हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम के संबंध में पुलिस मामले को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिलाओं का छोटी स्कर्ट पहनना, उत्तेजक नृत्य करना या इशारे करना 'अश्लील' कृत्य नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि यह कृत्य तब तक अश्लील नहीं है, जब तक कि वह जनता को किसी तरह से परेशान ना करे।
हाई कोर्ट
कोर्ट ने पुलिस FIR का किया जिक्र
हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के आदेशानुसार, मई में महाराष्ट्र पुलिस की टीम ने तिरखुरा में टाइगर पैराडाइज रिसॉर्ट और वाटर पार्क पर छापा मारा और 6 महिलाओं को छोटे कपड़ों में दर्शकों के लिए नृत्य करते हुए पाया था।
कोर्ट ने कहा, "FIR पढ़ने से पता चलता है कि 6 महिलाएं छोटे कपड़े पहनकर अश्लील नृत्य कर रही थीं, जबकि दर्शक उन पर 10 रुपये के नकली नोट बरसा रहे थे और कुछ दर्शक शराब भी पी रहे थे।''
कोर्ट
कोर्ट ने कहा- वर्तमान में महिलाओं के छोटे कपड़े पहनना स्वीकार्य
कोर्ट ने कहा, "हम वर्तमान भारतीय समाज में प्रचलित नैतिकता के सामान्य मानदंडों को ध्यान में रखते हैं। वर्तमान में यह काफी सामान्य और स्वीकार्य है कि महिलाएं ऐसे कपड़े पहन सकती हैं। हम अक्सर फिल्मों में इस तरह के पहनावे को देखते हैं।"
कोर्ट ने कहा, "सेंसरशिप या व्यापक सार्वजनिक दृश्य में आयोजित सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भी दर्शकों को परेशान किए बिना महिलाएं छोटे कपड़े पहनी नजर आती हैं।"
कोर्ट
कोर्ट ने कहा- मामले में प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना पसंद
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "किस कृत्य से अश्लीलता हो सकती है। इस बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण रखना हमारी ओर से एक प्रतिगामी कार्य होगा। हम मामले में प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना पसंद करते हैं।"
कोर्ट ने कहा, "इस तरह का निर्णय पुलिस हम अधिकारियों के हाथों में छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। पुलिस ने अपनी शिकायत में कोई ऐसा तथ्य नहीं बताया है कि जिससे किसी विशिष्ट व्यक्ति को परेशानी हुई हो।"
कोर्ट
कोर्ट ने पुलिस FIR को लेकर क्या कहा?
पुलिस ने अपनी FIR में अश्लीलता के कृत्यों से संबंधित IPC की धारा 294, और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम और उसके निषेध कानून की संबंधित धाराएं लगाई गईं थी।
कोर्ट ने कहा कि धारा 294 के तहत अपराध होने के लिए उसे सार्वजनिक रूप से किया जाना चाहिए और जिसका अर्थ है कि अश्लील कृत्य की कोई विशिष्ट शिकायत की जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि मामले में धारा 294 (अश्लील हरकतों या शब्दों के लिए सजा) लागू नहीं होगी।