असम: 15 दस्तावेज देकर भी खुद को भारतीय साबित नहीं कर पाई यह महिला
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NRC) लागू है। यदि यहां पर कोई चार साल की मतदाता सूची, प्रधान द्वारा जारी निवास और शादी प्रमाणपत्र, माता-पिता का NRC क्लियरेंस, राशन कार्ड, पैन कार्ड, जमीन के कागजात और बैंक पासबुक रखते हुए सोचता है कि वह भारतीय नागरिक है तो यह गलत है। इन दस्तावेजों के बाद भी उसके भारतीय होने की गारंटी नहीं है। दरअसल, असम की एक महिला इन सभी दस्तावेजों के बाद भी नागरिकता साबित नहीं कर पाई।
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
असम के बक्सा जिले के गुवाहारी गांव निवासी जाबीदा बेगम का नाम गत वर्ष NRC की सूची में नहीं आया था। मई 2019 में फॉरेन ट्रिब्यूनल ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया था। जाबीदा ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी और खुद को भारतीय साबित करने के लिए 15 दस्तावेज प्रस्तुत किए थे, लेकिन गत 12 फरवरी को हाईकोर्ट ने दस्तावेज मानने से इनकार कर दिया क्योंकि वह अपने माता-पिता से अपना संबंध साबित करने में विफल रही।
जाबीदा ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए थे ये दस्तावेज
खुद को भारतीय साबित करने के लिए जाबीदा ने कोर्ट में 1966, 1970, 1997 और 2015 की चार मतदाता सूचियों के साथ पिता जाबेद अली का NRC क्लियरेंस, प्रधान द्वारा जारी निवास और विवाह प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, भू-राजस्व भुगतान की रसीदें, बैंक पासबुक, पैन कार्ड और एक अन्य बैंक दस्तावेज प्रस्तुत किया था। इसके बाद भी कोर्ट ने उन दस्तावेजों को नहीं माना और उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका खारिज करने के लिए कोर्ट ने दी यह दलील
जस्टिस मनोजित भुयान और पार्थिवज्योति सैकिया ने जाबीदा की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह इन दस्तावेज के आधार पर अपने कथित माता-पिता से संबंध स्थापित नहीं कर पाई है। उन्होंने गत वर्ष के फैसले का हवाला दिया कि पैन कार्ड, बैंक दस्तावेज और भू-राजस्व भुगतान की रसीदें नागरिकता का सबूत नहीं हैं। इसी तरह गांव के प्रधान को निवास और विवाह प्रमाण पत्र देने का अधिकार नहीं है। ऐसे में उसकी नागरिकता स्पष्ट नहीं होती है।
मैं अपनी बेटी के लिए चिंतित हूं- जाबीदा
जाबीदा ने NDTV से कहा कि बाढ़ के कारण उसके माता-पिता हाजो से बक्सा चले गए थे। उसने अब उम्मीद खो दी है। उसे अब अपने माता-पिता और पांच साल की बेटी की चिंता है। उसके पास अब साबित करने के लिए कुछ नहीं है।
परिवार में अकेली कमाने वाली हैं जाबीदा
हाईकोर्ट के फैसले के बाद जाबीदा के परिवार पर मुसीबतों का टूटना तय है। उसके पति रज्जाक काफी समय से बहुत बीमार हैं, जिसके कारण जाबीदा परिवार में कमाने वाली एकमात्र सदस्य हैं। कानूनी लड़ाई के खर्च के लिए उसने अपनी तीन बीघा जमीन बेच दी है। वह अब दूसरों की जमीन पर काम करके परिवार का पेट पालती है। जाबीदा के पति रज्जाक ने कहा कि अब उनके पास कोई उम्मीद नहीं बची है।
असम में नागरिकता साबित करने के लिए मांगे गए थे यह दस्तावेज
असम में लागू की गई NRC में लोगों को नागरिकता साबित करने के लिए पूर्वजों के 1971 से पहले असम में रहने के सबूत के दस्तावेज देने थे। दस्तावेजों के दो सेट (सूची ए और सूची बी) मांगी गई थी। सूची ए में व्यक्ति या उनके पूर्वज के 1971 से पहले असम में रहने से संबधित दस्तावेज व सूची बी में 1971 के बाद पैदा हुए लोगों द्वारा परिजनों से संबंध के लिए जन्म प्रमाण पत्र आदि जमा कराने थे।
पिछले साल असम NRC में बाहर हो गए थे 19 लाख लोग
असम में रह रहे घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर भेजने के लिए NRC बनाया गया था। इसका पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होते हैं, उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है। पिछले साल इसमें 19 लाख लोग नागरिकता साबित नहीं कर सके थे। जाबीदा भी उन्हीं लोगों में से एक है। जिनका नाम इस रजिस्टर में नहीं आता है वो हाईकोर्ट में अपील कर अपनी नागरिकता साबित कर सकते हैं।