किसानों की वापसी के बावजूद जनवरी में खुलेंगे गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर, जानिए क्या है कारण
केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों की वापसी सहित अन्य मांगे मानने के बाद किसानों ने अपने एक साल लंबे आंदोलन को खत्म कर दिया है। इसके बाद सभी किसान सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर को छोड़कर घरों को लौट चुके हैं। किसानों का अंतिम जत्था भी बुधवार को रवान हो गया, लेकिन इसके बाद भी सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर को ट्रैफिक के लिए जनवरी में खोला जाएगा। यहां जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है।
पक्की बेरिकेडिंग को हटाने में लगेगा समय- NHAI
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने कहा है कि दिल्ली और गाजियाबाद को जोड़ने वाला गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली-हरियाणा को जोड़ने वाले सिंघु बॉर्डर किसानों आंदोलन के कारण करीब एक साल से बंद हैं। अब किसान यहां से जा चुके हैं, लेकिन ट्रैफिक के लिए ये बॉर्डर जनवरी में ही खुल पाएंगे। इसका कारण है कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस द्वारा बनाई गई पक्की बेरिकेडिंग को हटाने में समय लगेगा।
निरीक्षण के बाद ही खोले जाएंगे बॉर्डर- NHAI
NHAI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसानों के जाने के बाद अब इंजीनियरों की टीम पूरे बॉर्डर का निरीक्षण करेगी और क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत की जाएगी। निरीक्षण का कार्य बुधवार से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पक्के बेरिकेड्स हटाने और हाइवे की सफाई कार्य में कम से कम दो सप्ताह का समय लगेगा। ऐसे में इन दोनों बॉर्डरों को ट्रैफिक के लिए जनवरी में ही खोला जा सकेगा। हालांकि, इन्हें पहले खोलने का भी प्रयास करेंगे।
दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से हटाई सभी बेरिकेडिंग
इधर, दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर बनाई गई सभी पक्की बैरिकेडिंग को हटा दिया है। पुलिस ने आंदोलन की शुरुआत में प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए इनका निर्माण किया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर सभी पक्की बेरिकेडिंग को पूरी तरह से हटा दिया गया है। हालांकि, अभी तक बॉर्डर को वाहनों की आवाजाही के लिए नहीं खोला गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने किया था कानूनों की वापसी का ऐलान
किसानों के विरोध और एक साल के आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। उसके बाद सरकार ने 29 नवंबर को संसद में कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया था और फिर 1 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उसे मंजूरी दे दी थी। हालांकि, इसके बाद किसान MSP पर कानून बनने, दर्ज मुकदमे वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर अड़ गए थे।
सरकार ने दिया था सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन
4 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को फोन कर वार्ता का न्यौता दिया था। इस पर किसानों ने पांच सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति ने सरकार के प्रस्तावों पर चर्चा की थी। इसके बाद सरकार ने 9 दिसंबर को किसानों को MSP पर निर्णय के लिए एक समिति बनाने, दर्ज मुकदमें वापस लेने सहित सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। उसके बाद किसानों ने आंदोलन के समापन की घोषणा कर दी।
11 दिसंबर से घर लौटने लगे थे किसान
आंदोलन के समापन का ऐलान होने के बाद किसान 11 दिसंबर से अपने-अपने घर लौटने लग गए थे। किसानों का अंतिम जत्था बुधवार को रवाना हुआ। इस जत्थे में किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल है। ऐसे में अब आंदोलन पूरी तरह खत्म हो गया।