अब इंडिया गेट पर नहीं जलेगी अमर जवान ज्योति, युद्ध स्मारक की लौ में होगा विलय
पिछले 50 सालों से दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति की मशाल की लौ शुक्रवार को बंद हो जाएगी। इस मशाल की लौ का आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में विलय कर दिया जाएगा। इसके लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रम की अध्यक्षता एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण करेंगे और उनके द्वारा ही लौ का विलय किया जाएगा। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में किया था।
ऐसा क्यों किया जा रहा है?
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पहले देश के लिए अलग-अलग युद्धों और संघर्षों में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोई स्मारक नहीं था। इसलिए इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति जलती थी। अब इसके लिए एक समर्पित म्यूजियम और स्मारक है। इसलिए अब से अमर जवान ज्योति राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी। बता दें कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनने के बाद राजनेता और सैन्य अधिकारी इंडिया गेट पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित नहीं करते हैं।
कब से जल रही है अमर ज्योति की मशाल?
1971 के युद्ध में शहीद होने वाले जवानों की याद में अमर ज्योति की मशाल को जलाया गया था। 1972 के गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। इसकी मशाल तब से लगातार जल रही है। शुक्रवार दोपहर होने वाले कार्यक्रम में इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति के एक हिस्से को करीब 400 मीटर दूर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर ले जाया जाएगा। उसके बाद इंडिया गेट पर जलने वाली ज्योति बंद कर दी जाएगी।
इंडिया गेट के पास ही स्थित है युद्ध स्मारक
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को इंडिया गेट के पास ही करीब 40 एकड़ इलाके में बनाया गया है। इसमें 26,000 से अधिक उन भारतीय सैनिकों के नाम हैं, जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। इस स्मारक में चार चक्र हैं। इनमें सबसे अंदर अमर चक्र है, जिसमें 15.5 मीटर ऊंचा स्तंभ बनाया गया है। इसी स्तंभ में अमर ज्योति जल रही है, जो शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है।
बाकी तीन चक्रों में क्या है?
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दूसरा चक्र वीरता चक्र है। इसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा लड़ी गई छह लड़ाईयों के बारे में बताया गया है। तीसरे चक्र का नाम त्याग चक्र है और इसमें देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले शहीदों के नाम लिखे हुए हैं। इसके बाद सुरक्षा चक्र आता है, जिसमें 695 पेड़ लगाए गए हैं। ये पेड़ देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं। यह स्मारक 176 करोड़ की लागत से तैयार हुआ था।
कांग्रेस ने जताया विरोध
कांग्रेस ने अमर जवान ज्योति की मशाल को युद्ध स्मारक की लौ में विलय करने के फैसला का विरोध किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्विटर पर इसका विरोध करते हुए लिखा कि यह सरकार संसद में या उसके बाहर लोकतांत्रिक परंपरा और स्थापित परंपरा का सम्मान नहीं करती है। अमर जवान ज्योति को 50 सालों में जो पवित्रता प्राप्त हुई थी, उसको हल्का करके आंका जा रहा है।