जोशीमठ: अब तक 863 इमारतों में आईं दरारें, इनमें से 21 प्रतिशत असुरक्षित श्रेणी में
क्या है खबर?
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण अब तक 863 इमारतों में दरारें पड़ चुकी हैं और इनमें से करीब 21 प्रतिशत इमारतों (181 इमारतों) को असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है।
बतौर रिपोर्ट्स, उत्तराखंड में हाल ही में हुई भारी बर्फबारी के बाद कई इमारतों में पड़ी दरारें चौड़ी हो गई हैं।
गौरतलब है कि जोशीमठ में असुरक्षित घरों और होटलों समेत अन्य इमारतों को गिराने का काम चल रहा है।
सहायता
242 प्रभावित परिवारों को दिए गए हैं 3.62 करोड़ रुपये
चमोली के जिलाधिकारी (DM) हिमांशु खुराना ने शनिवार को जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण प्रभावित एक गांव की स्थिति का जायजा लिया था।
उन्होंने कहा कि बर्फबारी से निपटने के लिए SDRF और पुलिस की टीमों को अलर्ट पर रखा गया है।
बता दें कि 274 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है और अब तक अंतरिम राहत के रूप में जोशीमठ के 242 प्रभावित परिवारों को 3.62 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जा चुकी है।
इंतजाम
उत्तराखंड सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए किए इंतजाम
जोशीमठ से अब तक 274 परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया जा चुका है।
वहीं प्रभावित लोगों को ठंड से बचाने के लिए अस्थाई राहत केंद्रों पर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
सरकार के मुताबिक, 76 परिवारों को हीटर और ब्लोअर, 110 लोगों को गर्म कपड़े, 175 को गर्म पानी की बोतलें, 516 को ऊनी टोपी, 280 को गर्म मोजे और 196 लोगों को शॉल की आपूर्ति की गई है।
जानकारी
जोशीमठ की कॉलोनी में पानी का डिस्चार्ज हुआ कम- अधिकारी
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में जेपी कॉलोनी के पास पानी का डिस्चार्ज 540 लीटर प्रति मिनट (LPM) से घटकर 136 LPM हो गया है और इसमें कमी एक सकारात्मक संकेत है। गौरतलब है कि 2 जनवरी से कॉलोनी के पास एक जगह से पानी बाहर निकल रहा है।
बता दें कि जोशीमठ के अलावा उत्तरकाशी, कर्णप्रयाग, पौढ़ी समेत अन्य इलाकों में भी जमीन धंसने के मामले सामने आए हैं।
कारण
जोशीमठ में भू-धंसाव क्यों हो रहा है?
जोशीमठ में भू-धंसाव के असल कारण अभी तक पता नहीं चले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि यहां हुए अनियोजित निर्माण कार्य, इलाके में क्षमता से ज्यादा आबादी का आवास, पानी के प्राकृतिक बहाव में बाधा और जलविद्युत परियोजनाओं के चलते ऐसे हालात बने हैं।
इसके अलावा जोशीमठ ऐसे इलाके में स्थित हैं, जहां भूकंप आने की आशंका अधिक रहती है।
पिछले कई सालों से कई रिपोर्ट में सरकारों को ऐसी स्थिति की आशंका से अवगत कराया गया था।