जोशीमठ: रोक के बावजूद अंधेरे में भारी मशीनों से काटे जा रहे पहाड़- रिपोर्ट
उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते राज्य सरकार ने यहां हाईवे समेत सभी तरह के निर्माण कार्य और नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) की निर्माणाधीन परियोजना पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, लेकिन अभी भी यहां अंधेरे में भारी भरकम मशीनों से पहाड़ काटे जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में कई किलोमीटर तक इन मशीनों की आवाज सुनी जा सकती है। भू-धंसाव के बीच इस तरह की गतिविधियां काफी खतरनाक साबित हो सकती हैं।
अंधेरे में जोशीमठ हाईवे पर काटे जा रहे पहाड़
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी टीम ने बुधवार तड़के 2:00 बजे जोशीमठ हाईवे पर पहाड़ काटती मशीनों और ड्रिल करते हुए मजदूरों को अपने कैमरे में कैद किया है। यह हाईवे बद्रीनाथ की तरफ जाता है। टीम ने मजदूरों को JCB मशीन की मदद से तोड़े गए पत्थरों को ले जाते हुए भी देखा। रिपोर्ट के मुताबिक, इसे रोकने के लिए वहां कोई नहीं था और इन मशीनों की आवाज अंधेरे में कई किलोमीटर तक सुनाई दे रही थी।
जोशीमठ में सभी निर्माण कार्यों पर लगा हुआ है प्रतिबंध
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदाग्रस्त क्षेत्र जोशीमठ और इसके आसपास के इलाकों में भू-धंसाव की स्थिति को देखते हुए यहां सभी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र में जमीन धंसने के कारण कस्बे के 721 घरों में खतरनाक दरारें आ गई हैं और यहां के स्थानीय लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं।
जोशीमठ में क्षतिग्रस्त इमारतों को तोड़ेगी सरकार
उत्तराखंड सरकार जोशीमठ में होटल और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के अलावा उन क्षतिग्रस्त घरों को गिराने पर विचार कर रही है, जिनमें रहना अब लोगों के लिए खतनाक हो चुका है। हालांकि, स्थानीय व्यापारी और लोग सरकार की इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने मुआवजे की मांग की है। इसके साथ ही जोशीमठ के 110 से अधिक परिवारों ने अपना घर छोड़ दिया है और पूरे शहर को खाली करने की योजना है।
जोशीमठ और आसपास के इलाके में हर साल तेजी से धंस रही जमीन- रिसर्च
उत्तराखंड के जोशीमठ और आसपास के इलाके में हर साल 2.5 इंच की दर से जमीन धंस रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (IIRS) ने अपने दो साल के एक रिचर्स में यह खुलासा किया है। देहरादून स्थित IIRS ने जुलाई, 2020 से मार्च, 2022 तक एकत्र की गई सैटेलाइट तस्वीरों में पाया कि जोशीमठ का पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे धंस रहा है और जमीन धंसने की घटना केवल जोशीमठ तक ही सीमित नहीं है।
जोशीमठ के अलावा कर्णप्रयाग में 50 से अधिक मकानों में पड़ी दरारें
जोशीमठ की तरह कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में भी पिछले कुछ महीनों में लगभग 50 घरों में दरारें पड़ी हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले साल से दरारें काफी बढ़ गई हैं और प्रशासन ने मरम्मत के लिए 5,200 रुपये दिए, जो काफी नहीं हैं। चमोली जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि बहुगुणा नगर में कुछ मकानों में दरारें आ गई हैं और भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की की एक टीम इस क्षेत्र का अध्ययन कर रही है।