मणिपुर में फिर हुई हिंसा, कांगपोपकी में कुकी समुदाय के 3 लोगों की गोली मारकर हत्या
मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की घटना सामने आई है। कांगपोपकी जिले में मंगलवार सुबह एक प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन समूह ने कुकी समुदाय के 3 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों ने इंफाल पश्चिम और कांगपोपकी जिलों के सीमावर्ती इलाकों में स्थित इरेंग और करम गांव के बीच ग्रामीणों पर हमला किया। मणिपुर में पहली बार 3 मई को हिंसा भड़की थी।
ग्रामीणों पर घात लगाकर किया गया हमला- रिपोर्ट
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह घटना मंगलवार सुबह करीब 7 बजे हुई। बतौर रिपोर्ट्स, कुकी समुदाय के 3 ग्रामीण एक वाहन में यात्रा कर रहे थे और उन पर कांगपोकपी जिले के इरेंग गांव के पास घात लगाकर हमला किया गया। इस दौरान हुई गोलीबारी में तीनों की मौत हो गई। मारे गए तीनों लोगों की पहचान सातनेओ तुबोई, नगामिनलुन ल्हौवम और नगामिनलुन किपगेन के रूप में की गई है।
भाजपा विधायकों ने हिंसा खत्म करने के प्रस्ताव पर किए हस्ताक्षर
मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा के 23 विधायकों ने हिंसा को खत्म करने के एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। विधायकों ने प्रस्ताव में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का संकल्प लिया है। विधायकों ने दिल्ली जाकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से वर्तमान संकट का जल्द से जल्द समाधान निकालने की मांग करने की बात भी कही। हालांकि, इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
कुकी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
सिविल सोसाइटी संगठन यूथ ऑफ मणिपुर (YOM) के सदस्यों ने सोमवार रात मुख्यमंत्री सिंह से मुलाकात की। उन्होंने राज्य में अलग प्रशासन की मांग करने वाले 10 कुकी विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की। YOM ने मुख्यमंत्री से इस मामले पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने और राज्य में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) लागू करने की मांग भी की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। मणिपुर हिंसा में करीब 180 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हुए हैं। यहां मैतेई समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है, जिनमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, वहीं नागा और कुकी सहित 40 प्रतिशत आदिवासी पहाड़ी जिलों में बसे हैं।