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    पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को होता है थायराइड का अधिक खतरा, विशेषज्ञ से जानिए इसकी वजह

    पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को होता है थायराइड का अधिक खतरा, विशेषज्ञ से जानिए इसकी वजह
    लेखन अंजली
    Nov 07, 2021, 05:59 pm 1 मिनट में पढ़ें
    पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को होता है थायराइड का अधिक खतरा, विशेषज्ञ से जानिए इसकी वजह
    ENT डॉ अनीशा कोच्चर राठी (दिव्य प्रस्थ अस्पताल, दिल्ली)

    दुनियाभर में थायराइड तेजी से अपने पांव पसार रहा है और पुरूषों के मुकाबले इसका खतरा महिलाओं को ज्यादा रहता है जो कि एक चिंताजनक विषय है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि महिलाओं को थायराइड का अधिक खतरा क्यों रहता है? इस बात को समझने के लिए हमने ENT डॉक्टर अनीशा कोच्चर राठी से खास बातचीत की, जिन्होंने हमें थायराइड के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताईं। आइए जानते हैं उन्होंने क्या-क्या कहा।

    थायराइड क्या है?

    सबसे पहले डॉ राठी ने हमें बताया कि थॉयराइड कोई बीमारी नहीं बल्कि गले में ही उपस्थित एक ग्रंथि है, जो तितली के आकार की होती है। यह ग्रंथि टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी4 यानी थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस का सीधा असर हृदय, पाचन क्रिया, हड्डियों, मांसपेशियों और शरीर के तापमान पर पड़ता है और जब ये हार्मोंस असंतुलित होने लगते हैं तो इसे ही थायराइड की समस्या कहते हैं।

    पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को थायराइड का अधिक खतरा क्यों रहता है?

    डॉ राठी ने बताया कि महिलाओं को थायराइड का अधिक खतरा होने के पीछे विभिन्न कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसमें सबसे मुख्य कारण है कि मासिक धर्म चक्र के दौरान निर्मित होने वाले हार्मोंन्स से थायराइड हार्मोंन्स प्रभावित हो सकते हैं, जिससे महिलाओं को थायराइड का अधिक खतरा हो सकता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं को ऑटोइम्यून की समस्या होने की संभावना ज्यादा होती है, जिसकी वजह से उन्हें थायराइड का अधिक खतरा हो सकता है।

    थायराइड के प्रकार

    डॉ राठी ने बताया की कि थायराइड के पांच प्रमुख प्रकार होते हैं। हाइपरथायरॉइडज्म: यह तब होता है जब थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण करने लगती है। हाइपोथायरायडिज्म: थायराइड ग्रंथि का जरूरत से कम हार्मोंस का निर्माण करना। गॉइटर: इसमें आयोडीन की कमी के कारण थायराइड ग्रंथि प्रभावित होने लगती है। थायरॉयडिटिस: थायराइड ग्रंथि में सूजन आना। थायराइड नोड्यूल: थायराइड ग्रंथि में गांठ बनना। थायराइड कैंसर: असामान्य थायराइड कोशिकाओं से ग्रंथि पर बुरा प्रभाव पड़ना।

    थायराइड की ओर इशारा करते हैं ये लक्षण

    डॉ राठी ने बताया कि थायराइड होने पर शुरूआत में शरीर कुछ संकेत देता है जिन्हें इस समस्या के लक्षण भी कहा जा सकता है। थकावट, तनाव, वजन का तेजी से बढ़ना या कम होना, हृदय गति का कम होना, उच्च रक्तचाप, जोड़ों में सूजन या दर्द, याददाश्त कमजोर होना, प्रजनन क्षमता में असंतुलन, मांसपेशियों में दर्द, चेहरे पर सूजन और समय से पहले बालों का सफेद होना या बालों का झड़ना आदि इसके शारीरिक लक्षण हैं।

    थायराइड शरीर के किन-किन अंगों को प्रभावित करता है?

    डॉ राठी के मुताबिक, थाइराइड होने पर मेटाबॉलिज्म पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है जिसके कारण यह भोजन को ठीक से शरीर में अवशोषित नहीं कर पाता है और इससे शरीर के अंग प्रभावित होने लगते हैं। ऐसा होने पर दिमाग का न्यूरोट्रांसमीटर सही से काम नहीं कर पाता और व्यक्ति तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। इसके अतिरिक्त गला, हृदय, किडनी और हड्डियां आदि भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।

    थायराइड का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट कराने चाहिए?

    डॉ राठी ने कहा कि थायराइड का पता लगाने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वह शारीरिक जांच और टेस्ट के बाद आपको इसके बारे में बता सके। इसके लिए डॉक्टर आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर आपको टीएसएच टेस्ट, टी-4 टेस्ट, टी-3 टेस्ट, थायराइड एंटीबॉडी टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, थायराइड स्कैन और रेडियोएक्टिव आयोडीन टेस्ट आदि में से कोई भी टेस्ट कराने को कह सकते हैं।

    थायराइड का इलाज क्या है?

    डॉ राठी के मुताबिक, थायराइड का इलाज मरीज की उम्र, स्थिति और इस बात पर निर्भर करता है कि थायराइड ग्रंथि कितने हार्मोन बना रही है। इसके लिए पहले व्यक्ति डॉक्टर से संपर्क करके थायराइड टेस्ट कराएं, फिर उसी के अनुसार और डॉक्टरी सलाह के साथ अपना इलाज कराएं। अमूमन डॉक्टर थायराइड के जोखिम को कम करने के लिए कुछ दवाएं देते हैं, वहीं स्थिति गंभीर होने पर सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है।

    थायराइड के लिए सर्जरी की जरूरत कब होती है?

    इस बारे में डॉ राठी का कहना है कि थायराइड के रोगी को सर्जरी की जरूरत तब होती है, जब उसे कुछ निगलने या फिर सांस लेने में तकलीफ हो। सर्जरी में थायराइड का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा निकाला जा सकता है। बता दें कि अमूमन थायराइड कैंसर होने पर सर्जरी एकमात्र इलाज होती है और सर्जरी के बाद रोगी को समय-समय पर रेडियोआयोडीन थेरेपी दी जाती है। इससे कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।

    थायराइड के दुष्प्रभाव

    डॉ राठी ने बताया कि अगर थायराइड का इलाज न कराया जाए तो इसके कारण व्यक्ति को कई तरह के दुष्प्रभावों का सामाना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, हाई कोलेस्ट्रोल, माइक्जेडेमा कोमा (एक तरह का दिमागी विकार), हृदय के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना, ओस्टियोपोरेसिस (हड्डियों की बीमारी)। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं में समय पूर्व प्रसव, भ्रूण का सही ढंग से विकास न होना और गर्भपात की समस्या आदि भी थायराइड के दुष्प्रभाव हैं।

    थायराइड होने पर कैसा आहार लेना चाहिए?

    डॉ राठी का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को थायराइड है तो उसकी डाइट में शामिल खाद्य पदार्थ पोषक गुणों से भरपूर होने चाहिए। इसके लिए रोगी अपनी डाइट में अनाज, फल, सब्जियां, खाने वाले बीज और मछली आदि को शामिल करें। वहीं खाना बनाने के लिए जैतून का तेल या शुद्ध नारियल के तेल का इस्तेमाल करें। इसी के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना भी जरूरी है।

    थायराइड हो तो किन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए?

    डॉ राठी ने बताया कि थायराइड के रोगियों के लिए कुछ चीजों का सेवन बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है। बेहतर होगा कि वे अधिक नमक युक्त भोजन का सेवन न करें, वसा युक्त दुग्ध उत्पादों से दूर बना लें, अधिक तला और मसालेदार खाना न खाएं, सैचुरेटेड फैट और हाड्रोजेनेटेड फैट युक्त सामग्रियों का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा कार्बोनेटेड और अधिक मीठे पेय पदार्थों के साथ-साथ अल्कोहल के सेवन से भी दूर रहें।

    थायराइड से राहत दिलाने में घरेलू नुस्खे मदद कर सकते हैं?

    इस बारे में डॉ राठी का कहना है कि घरेलू नुस्खों से किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है, इसलिए रोगी थायराइड के प्रभाव को कम करने के लिए इन्हें आजमा सकते हैं। हालांकि कोई भी घरेलू नुस्खा अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। वैसे बेहतर होगा कि रोगी अपनी डाइट और शारीरिक सक्रियता के जरिये ही थायराइड के प्रभाव को कम करने की कोशिश करें।

    थायराइड के जोखिमों को कम करने वाली एक्सरसाइज और योगासन

    डॉ राठी के अनुसार, थायराइड के जोखिम को कम करने में योगासन और एक्सरसाइज काफी मदद कर सकते हैं। योगासनों की बात करें तो थायराइड रोगियों के लिए सूर्य नमस्कार, उत्कटासन, गोमुखासन, मकरासन, वीरासन, धनुरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन और वृक्षासन का रोजाना अभ्यास करना लाभदायक है। वहीं एक्सरसाइज में आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, स्क्वाट जंप एक्सरसाइज, माउंटेन क्लाइंबर एक्सरसाइज और रस्सी कूदने आदि कार्डियो एक्सरसाइज को अपने वर्कआउट रूटीन में शामिल कर सकते हैं।

    कोरोना वायरस होने पर थायराइड का खतरा बढ़ सकता है?

    डॉ राठी का कहना है कि अब तक इस विषय पर कई अध्ययन हो चुके है और उनमें इस बात का जिक्र कहीं भी नहीं है कि कोरोना वायरस के कारण थायराइड की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए यह कहा नहीं जा सकता है कि कोरोना वायरस होने पर थायराइड हो सकता है। इसी तरह यह भी कहना गलत है कि थायराइड के रोगियों को कोरोना का अधिक खतरा हो सकता है।

    कोरोना वैक्सीन के कारण थायराइड होने की कोई संभावना है?

    डॉ राठी का कहना है कि कोरोना वैक्सीन के कारण थायराइड हो सकता है। इस बात को डॉ ने स्पष्ट किया कि वैक्सीन से हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनने लगती है, जो वायरस के खिलाफ काम करने का काम करती हैं, लेकिन इससे शरीर के कुछ हिस्सों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसी में से एक है थायराइड ग्रंथि, इसलिए कोरोना वैक्सीन के कारण थायराइड हो सकता है।

    थायराइड से बचने के क्या-क्या उपाय है?

    डॉ राठी ने कहा कि अगर आप थायराइड की समस्या से बचकर रहना चाहते हैं तो स्वस्थ आहार का सेवन करें। जंक फूड और ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल भी न करें। वजन, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें ताकि इसके कारण थायराइड की समस्या न हो। रोजाना कुछ मिनट एक्सरसाइज या फिर योगाभ्यास जरूर करें।

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