#Review: जानिए कैसी है 'ह्यूमन कंप्यूटर' शकुंतला देवी की असाधारण निजी जिंदगी
काफी समय से बायोपिक फिल्मों का दौर देखने को मिल रहा है। अब अभिनेत्री विद्या बालन महान गणितज्ञ और 'मानव कंप्यूटर' शकुंतला देवी की जिंदगी को लेकर हाजिर हो गई हैं। कोरोना वायरस के कारण सिनेमाघर बंद होने की वजह से इस फिल्म को अमेजॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज कर दिया गया है। फिल्म में फिर से विद्या का बेबाक अंदाज दिखाई दे रहा है। यह एक महिला केंद्रित फिल्म है। आइए जानते हैं कैसी है 'शकुंतला देवी'।
शकुंतला देवी की बेटी ही उन पर करना चाहती है क्रिमिनल केस
फिल्म की कहानी शुरु होती है अनु बनर्जी (सान्या मल्होत्रा) से जो शकुंतला देवी की बेटी है और अपनी ही मां पर क्रिमिनल केस करना चाहती है। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि इनके बीच यह नौबत आ गई? इसके बाद कहानी 1936 में पहुंच जाती है। जहां बैंगलुरु में कन्नड़ परिवार की एक बच्ची अपने तेज दिमाग से हर किसी को हैरान कर रही है। वह चुटकियों में जटिल से जटिल गणित के सवालों को हल कर देती है।
अपने ही परिवार से नफरत करने लगती है शकुंतला
परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण शकुंतला कभी स्कूल नहीं जा पाई, लेकिन अपनी अनोखी प्रतीभा से वह गणित के जटिल सवालों को भी आसानी से हल कर देती है। अब उनके पिता उनकी इस प्रतिभा का उपयोग करते हुए देश के कई स्कूलों में गणित के शोज करने लगते हैं। जिसके लिए उन्हें पैसे मिलते थे। तभी शकुंतला की जिंदगी में एक ऐसा हादसा होता है जिसकी वजह से वह अपने परिवार से नफरत करने लगती हैं।
सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए शकुंतला की जिंदगी में आए कई उतार-चढ़ाव
नाम और पैसा शकुंतला को लंदन ले जाता है और वह अपने परिवार से दूर हो जाती हैं। दुनियाभर में जाकर वह शोज करने लगती हैं। शकुंतला को 'ह्यूमन कंप्यूटर' का नाम दे दिया गया। उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से भी नवाजा गया। सफलता की सीढ़िया चढ़ते हुए शकुंतला को प्यार होता है और दिल भी टूटता है। आखिरकार वह शादी कर लेती है और मां बन जाती हैं। यही उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वॉइंट होता है।
फिल्म देखने के बाद मिलेंगे कई सवालों के जवाब
इसके बाद यह देखना काफी दिलचस्प हो जाता है कि शौहरत और हुनर के इस खेल में ऐसा क्या होता है कि शकुंतला देवी अकेली रह जाती है। वह कौन सी वजह थी कि उनकी अपनी बेटी ही उनसे नफरत करने लगती है? शकुंतला को कैसे एहसास हुआ कि उनकी मां भी अपनी जगह ठीक थी? क्यों हमेशा खुश रहने वाली शकुंतला अब अकेली हो गईं? ऐसे ही कई सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद मिलेंगे।
विद्या ने सरलता से निभाया शकुंतला का किरदार
फिल्म में एक बार फिर से विद्या ने अपनी अदाकारी से दिल जीत लिया है। उन्हें देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि किसी भी सीन के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी है। वहीं अनु के किरदार में सान्या मल्होत्रा भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगी। जबकि अमित साध और जीशू सेनगुप्ता को ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं मिला। लेकिन उन्हें जितना भी डायरेक्टर ने रोल दिया उन्होंने उसके साथ पूरा इंसाफ किया है।
हर बारीकी पर दिया गया खास ध्यान
'फॉर मोर शॉट्स प्लीज!' वेब सीरीज की डायरेक्टर अनु मेनन ने शकुंतला देवी की जिंदगी को भी बखूबी पर्दे पर उतारा है। 2 घंटे 10 मिनट की कहानी कब शुरु होती और कब खत्म हो जाती है पता ही नहीं चलता। अनु ने फिल्म में किरदार और बोल-चाल के तरीके से लेकर हर चीज पर बारीकी से ध्यान दिया है। हालांकि, वह विद्या बालन जैसी अदाकारा से और बेहतरीन अदाकारी करवा सकती थीं।
शानदार सिनेमौटोग्राफी
फिल्म में सचिन-जिगर से संगीत दिया है, जिसे औसत कहा जा सकता। कोई भी गाना ऐसा नहीं है जिसे आपका बार-बार सुनने को दिल चाहेगा। लेकिन कोई भी गाना ऐसा नहीं लगेगा कि इसे जबरदस्ती डाला गया है। सिनेमैटोग्राफी भी काफी शानदार है। फिल्म में 1950 का लंदन और 1999 का बेंगलुरु दिखाया गया। इस समय को बिल्कुल पुराने जमाने जैसा ही बनाया गया है। हर फ्रेम में जबरदस्त रंग, पुरानी इमारतों को बखूबी कैद किया गया है।
फिल्म में लगी ये कमजोरियां
फिल्म में ज्यादा प्रयोग नहीं किए गए हैं, शायद यह एक बायोपिक है इसलिए निर्देशक को ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिला पाया। फिल्म में कई सीन्स ऐसे हैं जिन पर थोड़ा और काम करके वे इमोशनल बनाए जा सकते थे। इससे कहानी और दमदार दिखती। अंत में परितोष बनर्जी (जीशू सेनगुप्ता) की कमी काफी खलती है। जैसे उनका क्या हुआ? वह कहां गए? हालांकि, यह शकुंतला देवी की कहानी है तो शायद ही लोग इस पर ध्यान दें।
देखें या ना देखें
फिल्म की एक खास बात यह है कि यह सिर्फ गणित पर ही नहीं टिकी रह जाती, बल्कि इसमें शकुंतला देवी को एक मां, पत्नी और बेटी के किरदार में भी दिखाया गया है। हर हालात में खुलकर हंसने वाली इस महिला और 'ह्यूमन कंप्यूटर' की उलझी हुई निजी जिंदगी को पर्दे पर देखना एक शानदार अनुभव होगा। कुल मिलाकर कहा जाए तो यह एक एंटरटेनिंग फिल्म है। हम इस फिल्म को पांच में से तीन रेटिंग दे रहे हैं।