जन्मदिन विशेष: इन फिल्मों के लिए शबाना आजमी को मिल चुका है राष्ट्रीय पुरस्कार
शबाना आजमी गुजरे जमाने की उन अभिनेत्रियों में शामिल रही हैं, जिनकी सादगी ने फैंस को प्रभावित किया है। वह पर्दे पर विभिन्न भूमिकाओं में खूब जंची हैं। उनका जन्म 18 सितंबर, 1950 को हैदराबाद में हुआ था। आज (18 सितंबर) वह 72 साल की हो गई हैं। अपने दशकों लंबे करियर में इस अभिनेत्री को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले। आइए उन पांच फिल्मों पर नजर डालते हैं, जिसके लिए शबाना को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।
अंकुर
अपनी पहली ही फिल्म से शबाना बड़े पर्दे पर छा गई थीं। उनकी डेब्यू फिल्म 'अंकुर' 1975 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में शबाना के अभिनय का जादू इस कदर चला कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए उनका पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। शानदार शुरुआत के बाद फिर अभिनेत्री ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस फिल्म में शबाना ने एक दलित महिला लक्ष्मी की भूमिका निभाई थी।
अर्थ
इस सूची में महेश भट्ट की 1982 में आई फिल्म 'अर्थ' भी शामिल है। महेश ने ही इस फिल्म का निर्देशन किया था। इसमें शबाना के साथ स्मिता पाटिल और कुलभूषण खरबंदा नजर आए थे। अभिनय के मोर्चे पर शबाना ने फिर बाजी मार ली। इस फिल्म के लिए उन्हें दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। यह फिल्म एक निर्देशक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक अभिनेत्री के साथ विवाहेतर संबंध में पड़ जाता है।
खंडहर
'खंडहर' के लिए शबाना के काम की खूब सराहना की गई। यह फिल्म 1984 में रिलीज हुई थी। इसके लिए शबाना को फिर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। मृणाल सेन ने इसका निर्देशन किया था। इसमें पकंज कपूर, गीता सेन और नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गज कलाकार नजर आए थे। यह एक रोमांटिक फिल्म है, जिसमें एक फोटोग्राफर और गांव की लड़की के बीच के प्रेम-प्रसंग को फिल्माया गया था।
पार
1985 में आई 'पार' में शबाना के अभिनय की धार दिखी थी। बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म गरीबी और शोषण के मुद्दे को सामने लाती है। इसमें नसीरुद्दीन एक मजदूर की भूमिका में दिखे थे और शबाना ने उनकी पत्नी का किरदार अदा किया था। फिल्म के लिए शबाना को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक मजदूर अपने मकान मालिक के भाई की हत्या करके अपनी पत्नी के साथ फरार हो जाता है।
गॉडमदर
1999 में आई फिल्म 'गॉडमदर' के लिए शबाना ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किया था। इसमें उन्हें एक अनदेखा अवतार में देखा गया था। फिल्म में शबाना ने भारतीय गैंगस्टर संतोकबेन जडेजा से प्रेरित एक कैरेक्टर को निभाया था। बता दें कि संतोकबेन बाद में राजनीति में भी आई थीं। वह गॉडमदर के नाम से जानी जाती थीं। इस बायोग्राफिकल ड्रामा का निर्देशन विनय शुक्ला ने किया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ ही शबाना को कई अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं। फिल्मफेयर सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी उनकी झोली में गए। शबाना पद्म भूषण और पद्म श्री से भी सम्मानित हो चुकी हैं।