#NewsBytesExplainer: जब सड़कों पर उतरे राज कपूर, देव आनंद; क्यों हुई थी बॉलीवुड की सबसे बड़ी हड़ताल?
कुछ दिनों पहले हॉलीवुड में एक बड़ी हड़ताल देखी गई, जिसने दुनियाभर के मीडिया में सुर्खियां बटोरी। इस हड़ताल में बड़े फिल्मी सितारों से लेकर छोटे कर्मचारी तक शामिल हुए और हॉलीवुड का पहिया पूरी तरह से थम गया। क्या बॉलीवुड में भी सितारों की ऐसी एकजुटता देखी गई है? 1986 में बॉलीवुड सितारों ने न सिर्फ हड़ताल की थी, बल्कि सड़कों पर भी प्रदर्शन किया था। आज बात करते हैं बॉलीवुड की इस चर्चित हड़ताल के बारे में।
क्यों हुई बॉलीवुड में हड़ताल?
1986 में महाराष्ट्र सरकार ने सिनेमा के टिकटों पर भारी टैक्स लगाना शुरू कर दिया था। खबरों के मुताबिक, सरकार सिनेमा टिकटों पर 177 प्रतिशत राज्य कर वसूल रही थी। इसके अलावा फिल्म निर्माण में 4 प्रतिशत सेल्स टैक्स भी लगाया जा रहा था। ऐसे में बॉलीवुड ने अपने दर्शकों के हक की आवाज उठाने का फैसला किया। 10 अक्टूबर, 1986 को इन टैक्स को तुरंत हटाने की मांग के साथ बॉलीवुड कलाकारों ने हड़ताल की घोषणा कर दी थी।
हड़ताल में शामिल हुए सभी बड़े सितारे
बॉलीवुड की इस हड़ताल में राज कपूर, दिलीप कुमार, विनोद खन्ना, सुनील दत्त, देव आनंद, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन समेत सभी सितारे शामिल थे। हड़ताल की वजह से करीब 200 फिल्मों का निर्माण रुक गया। फिल्म जगत में करीब 1.5 लाख लोगों ने काम बंद कर दिया था। अपने भाषण में दिलीप कुमार ने कहा था, "आपने मशीन, तकनीक, कंप्यूटर का आयात कर लिया है, लेकिन आप संस्कृति का आयात नहीं कर सकते हैं।"
सड़कों पर देखे गए सितारे
21 अक्टूबर,, 1986 को को सभी बड़े सितारों ने सड़कों पर प्रदर्शन करने का फैसला लिया। अमिताभ, राजेश, देव आनंद, वी शांताराम, हेमा मालिनी, स्मिता पाटिल, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, यश चोपड़ा, मिथुन चक्रवर्ती समेत सिनेमा जगत के सभी सितारों ने सरकार के विरोध में मार्च निकाला था। इन सितारों को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। इनमें से कई लोग इस मार्च में शामिल हो गए थे।
देशभर से मिला समर्थन
बॉलीवुड की इस हड़ताल की भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा होने लगी। शुरुआत में महाराष्ट्र के बाहर फिल्मों की शूटिंग की इजाजत थी, लेकिन जैसे-जैसे मामला बढ़ा, फिल्म जगत पूरी तरह ठप हो गया। महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में फिल्मों की स्क्रीनिंग भी रोक दी गई। दक्षिण भारत सिनेमाजगत ने भी बॉम्बे सिने जगत को अपना समर्थन दिया था। 29 अक्टूबर को बॉलीवुड के समर्थन में देशभर में फिल्म कार्यशालाएं, संगीत स्टूडियो, ड्रिस्ट्रीब्यूशन ऑफिस बंद रखे गए।
सरकार से बातचीत के लिए बनाई गई समिति
सरकार से बातचीत करने के लिए सितारों ने एक समिति बनाई। अमिताभ और सुनील उन दिनों कांग्रेस पार्टी से लोकसभा के सदस्य थे। उन्हें इस समिति का अध्यक्ष चुना गया। इस समिति ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एसबी चव्हाण को एक ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री ने 3 सांसदों और 16 विधायकों के साथ इस समिति के सदस्यों से मुलाकात की। हालांकि, सुनील मुख्यमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं थे। इसके बाद आने वाले दिनों में और भी प्रदर्शन किए गए।
सरकार और कलाकारों में क्या हुआ समझौता?
आखिर में सरकार ने फिल्म टिकट पर सालाना 15 करोड़ रुपये टैक्स को कम करके 5 करोड़ कर दिया। फिल्म निर्माताओं से लिया जाने वाला 4 प्रतिशत सेल्स टैक्स भी अस्थाई रूप से हटाया गया। इस समझौते के बाद अमिताभ और सुनील ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया, लेकिन फिल्म जगत के ज्यादातर लोग मांगों को पूरी तरह नहीं माने जाने से नाखुश थे। नतीजा यह हुआ कि वे इन दोनों कलाकारों से ही नाराज हो गए।
अमिताभ से नाराज हुआ सिने जगत
इस समझौते को फिल्म जगत के साथ धोखा बताया जाने लगा। एक पुरानी खबर के मुताबिक फिल्म कमर्चारियों की मदद के लिए अमिताभ के 2 लाख रुपये के दान को उनके प्रति नाराजगी के कारण लौटा दिया गया। इससे निराश देव आनंद ने कहा कि वे लोग फिर वहीं का वहीं पहुंच गए। राजेश खन्ना ने हड़ताल दोबारा शुरू करने की भी बात कही। बॉलीवुड सितारों की एकजुटता की मिसाल बनी इस हड़ताल का अंत आपसी फूट के साथ हुआ।