#NewsBytesExplainer: कैसे होता है फिल्मों में नकली खून का इस्तेमाल? जानिए इसके बारे में सबकुछ
मनोरंजन जगत में हर साल सैंकड़ों फिल्में बनती हैं, कुछ अपनी कहानी से दर्शकों का दिल जीत लेती हैं तो इन दिनों लोगों में एक्शन फिल्मों का खुमार भी देखने को मिल रहा है। ऐसे में सितारे भी पर्दे पर जबरदस्त एक्शन कर रहे हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लड़ाई-झगड़े के बाद जिस खून में सितारे लथपथ नजर आते हैं, वो असली होता है या नकली। आइए आज इस खून के बारे में ही जानते हैं।
थिएटर से हुई थी नकली खून की शुरुआत
समय के साथ जैसे-जैसे सिनेमा का स्वरूप बदला है, उसी तरह नकली खून बनाने का तरीके भी बदला। 19वीं सदी में इसकी शुरुआत विदेशी थिएटर से हुई, जहां लाल कपड़े से खून दिखाया जाता था। इसके बाद ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों का दौर आया, जिसमें हॉलीवुड की कई फिल्मों में चॉकलेट सिरप या किसी गाढ़ी चीज का इस्तेमाल हुआ। हालांकि, सिनेमा को रंग मिलने के बाद मक्के के आटे, लाल रंग और पानी को मिलाकर नकली खून बनाया जाने लगा।
कीड़े को उबालकर बनाया गया खून
19वीं सदी में फ्रैंच थिएटर 'ग्रैंड गुइहनोल' में कोचीनियल बग नाम के सूखे कीड़ों को उबालकर नकली खून बनाया जाता था, यह एकदम लाल रंग का होता था। इसके लाल रंग को देखकर लोग भी मानने लगे थे कि शायद यह असली खून ही है।
इस फिल्म में पहली बार किया था इस्तेमाल
माना जाता है कि बॉलीवुड में नकली खून का इस्तेमाल 1949 में महबूब खान द्वारा निर्देशित फिल्म 'अंदाज' में हुआ था। यह भारतीय सिनेमा की उन फिल्मों में शामिल है, जिसमें सबसे पहले हत्या के सीन में नकली खून को दिखाया गया। इसके अलावा माइकल पॉवेल की मई, 1960 में आई फिल्म 'पीपिंग टॉम' नकली खून का इस्तेमाल करने वाली पहली हॉलीवुड फिल्म है। इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म में भी एक हत्या ही दिखाई गई थी।
कैसे बनता है नकली खून?
फिल्मों में नकली खून कॉर्न सिरप, खाने के रंग और कभी-कभी कॉर्न स्टार्च जैसे गाढ़ा करने वाली किसी चीज का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। इसके अलावा लाल रंग को एकदम खून जैसे रंग देने के लिए उसमें नीले या काले रंग को भी मिलाया जाता है। नकली खून बनाने का सबका तरीका अलग हो सकता है, लेकिन इसे यही ध्यान में रखकर बनाया जाता है कि ये सितारों के लिए सुरक्षित हो और इसे साफ करने में आसानी हो।
हर जगह के लिए होता है अलग तरह का खून
फिल्मों में अक्सर देखने को मिलता है कि किसी सितारे के चेहरे पर चोट लगी है तो किसी के हाथ से खून आ रहा है। ऐसे में शरीर के अलग-अलग हिस्से पर दिखाए जाने वाले नकली खून को बनाने का तरीका अलग होता है। हाथ-पैर या शरीर के किसी दूसरे हिस्से पर नजर आने वाला खून पतला होता है तो चेहरे के खून को गाढ़ा रखा जाता है। इसके अलावा मुंह के अंदर के लिए अलग खून होता है।
शूटिंग के दौरान की ये बातें हैं जरूरी
अगर आपने कभी गौर किया हो तो बड़े पर्दे पर जब किसी के सिर में गोली मारी जाती है तो खून एक अलग तरीके से बहता है। दरअसल, ऐसा होने पर नकली खून के साथ केले को मिलाया जाता है, जिसे देख लगता है कि इंसान का भेजा ही बाहर निकल आया है। इसी तरह दीवार या फर्श पर खून की छींटे दिखाने के लिए भी एक बंदूक जैसी चीज का इस्तेमाल होता है, जो ये इफेक्ट बना देती है।
मेकअप आर्टिस्ट पर होती है जिम्मेदारी
फिल्म में नकली खून को असली दिखाने का जिम्मा मेकअप आर्टिस्ट पर होता है। उन्हें इस तरीके से इसे सितारों के शरीर पर लगाना होता है कि ये असली लगे। ऐसे में मेकअप आर्टिस्ट को पहले सीन के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि वह अपने काम को अच्छे से करे और पर्दे पर कुछ भी अटपटा न लगे। मालूम हो कि सितारे ज्यादातर फिल्मों में खुद एक्शन करते हैं तो कुछ में बॉडी डबल का सहारा लेते हैं।